भोपाल
छोटे तालाब में लाखों रुपए की एक्सपायरी दवाएं फेंकने के अब औषधि विभाग जांच करेगा। । मामला सामने आने के बाद नगर निगम के अधिकारियों के साथ ड्रग इंस्पेक्टर ने मौके पर पहुंचकर दवाओं को तालाब से बाहर निकलवाया। जानकारी के मुताबिक तालाब से करीब चार कार्टून दवाएं निकाली गई हैं, जिनकी कीमत करीब 30 लाख रुपए से भी ज्यादा है।
ड्रग इंस्पेक्टर ने इन दवाओं के बैच नंबर नोट कर इनके आधार पर जांच शुरू कर दी। इधर, निगम ने तालाब में गंदगी फैलाने के जुर्म में अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इस मामले में महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है।
बैच के आधार पर होगी इन्क्वायरी
दवाओं को खरीदने वाले की जांच की जा रही है। ड्रग इंस्पेक्टर अब दवाओं के बैच नंबर के आधार पर कंपनी से पूछताछ करेगी। बैच नंबर के आधार पर दवा खरीदने वाले अस्पताल की जानकारी मिल सकती है। मामले को उजागर करने वाले समाजसेवी प्रदीप खंडेलवाल का कहना है कि फेंकी गई दवाओं में से ज्यादातर दवाएं फेफड़ों से संबंधित है। दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग 2021 है, ऐसे में हो सकता है कि अस्पताल ने कोरोना का प्रभाव देखते हुए इन दवाओं की खरीदी की हो लेकिन खपत ना होने पर उसे फेंक दिया।
हो सकते हैं सांस, फेफड़े और त्वचा के रोग
श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. पराग शर्मा के मुताबिक, दवा को खुले में फेंकना या उसे जलाना स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। दवा तभी तक दवा है जब तक उसकी एक्सपाइयरी डेट नहीं निकलती। इसके बाद वह जहर के समान हो जाती हैं।
जांच के बाद दोषियों के खिलाफ होगी कार्रवाई
दवाओं को इस तरह फेंकना अपराध की श्रेणी में आता है। खुले में फेंकी गई दवाएं सरकारी हैं या दवा विक्रेताओं की इसकी जांच कराई जाएगी। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ