नई दिल्ली
एनसीईआरटी ने अपनी किताबों में हाल के दिनों में कई बदलाव किए हैं। इसके बाद अब बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक में खालिस्तान, या एक अलग सिख राष्ट्र का जिक्र अब पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होगा। स्कूली शिक्षा पर केंद्र और राज्यों के लिए शीर्ष सलाहकार निकाय एनसीईआरटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) और अन्य हितधारकों के एक पत्र के बाद सिख समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री को बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तक से हटा दिया है।
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस संबंध में शिकायत पर गौर करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था और उनकी सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया है। राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में बदलाव के साथ सॉफ्ट कॉपी एनसीईआरटी की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।
एसजीपीसी ने अपने पत्र में कहा था कि नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग – एनसीईआरटी ने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के बारे में अपनी किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस के रीजनल एस्पिरेशंस अध्याय में पंजाब उपशीर्षक के तहत भ्रामक जानकारी दर्ज की है। इसमें कथित तौर पर सिख समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात कही गई है।
आनंदपुर साहिब 1973 के प्रस्ताव की व्याख्या करते हुए एसजीपीसी ने कहा था कि यह राज्य के अधिकारों और संघीय ढांचे को मजबूत करने के बारे में बात करता है। इसलिए सिखों को अलगाववादियों के रूप में चित्रित करना बिल्कुल भी उचित नहीं है और एनसीईआरटी को इस तरह के अत्यधिक आपत्तिजनक उल्लेखों को हटा देना चाहिए।
यह दावा किया गया था कि 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में कुछ पुरानी सूचनाओं को हटाकर और कुछ नई जानकारियों को जोड़कर सांप्रदायिक पहलू लिया गया है। एसजीपीसी ने कहा था कि आनंदपुर साहिब प्रस्ताव एक ऐतिहासिक दस्तावेज है, जिसमें कुछ भी गलत नहीं है। किताब में खालिस्तान को लेकर बात की गई थी। इसमें आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का हवाला देकर सिख राष्ट्र और अलगाववाद की दलील बताई गई थी। वर्ष 2006 में इसे किताब में शामिल किया गया था।