कानपुर
आईआईटी कानपुर में विकसित किए जा रहे कृत्रिम दिल ‘हृदय यंत्र’ का एनिमल ट्रायल शुरू हो गया है। यह ट्रायल आईआईटी की लैब के अलावा हैदराबाद की एक कंपनी में हो रहा है। प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर अमिताभ बंदोपाध्याय ने बताया कि सबसे जरूरी काम ‘हृदय यंत्र’ में लगे मटीरियल को टेस्ट करना है।
इस काम में 6 महीने लगेंगे। जरूरत हुई तो मशीन और मटीरियल में बदलाव भी किए जाएंगे। इसके बाद गाय के बछड़े पर ट्रायल के लिए हमें भारत के बाहर भी जाना पड़ सकता है। आईआईटी कानपुर के प्रफेसर अमिताभ के अनुसार, हृदय यंत्र का डिजाइन कंप्यूटर सिमुलेशन से तैयार किया गया है। जापानी ट्रेन मेग्लेव की तकनीक पर बन रहे हृदय यंत्र की सतह खून के संपर्क में नहीं आएगी। पंप के अंदर टाइटेनियम पर ऐसे डिजाइनिंग की जाएगी कि वो धमनियों की अंदरूनी सतह की तरह बन जाए। इससे प्लेटलेट्स सक्रिय नहीं होंगे। प्लेटलेट सक्रिय होने पर शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं। आॅक्सिजन का प्रवाह बढ़ाने वाले रेड ब्लड सेल्स भी नहीं मरेंगे।
आईआईटी कानपुर की लैब में टाइटेनियम धातु से यह आर्टिफिशियल हार्ट यानी कृत्रिम दिल विकसित किया जा रहा है। यह उन लोगों के काम आता है, जिनका दिल ठीक से ब्लड को पंप नहीं करता। इस डिवाइस का शेप पाइप की तरह होगा, जिसे हार्ट के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के बीच जोड़ा जाएगा। ‘हृदय यंत्र’ खून को शरीर में पंप कर धमनियों के सहारे पूरे शरीर में पहुंचाएगा। देश के नामी हृदय रोग विशेषज्ञ और सर्जन डॉ. देवी शेट्टी ने ‘हृदय यंत्र’ को गेमचेंजर बताया है।
चार्ज करना होगा
इंसानी दिल को शरीर के अंदर लोकल इलेक्ट्रिकल फील्ड से ऊर्जा मिलती है, लेकिन ‘हृदय यंत्र’ को बाहर से चार्ज कर ऊर्जा दी जाएगी। मशीन को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है कि मोटर का रोटर से संपर्क नहीं होगा। इससे कम आवाज और गर्मी पैदा होगी। इसे चार्ज करना होगा। जिनके शरीर में आर्टिफिाशयल हार्ट लगा है, उन्हें नहाते या कुछ करते समय चार्जिंग वायर का खयाल रखना होगा।
कितना अहम है प्रयोग?
इसे दुनिया का सबसे सस्ता और अत्याधुनिक कृत्रिम दिल बताया जा रहा है। ट्रायल ठीक रहे तो यह 2025-26 में ट्रांसप्लांट के लिए उपलब्ध होगा और कीमत अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।