उत्तरकाशी
उत्तराकशी टलन हादसे में छठे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। लेकिन, चिंता की बात है कि 150 घंटे गुजर जाने के बाद भी सुरंग में फंसे लोगों को सकुशल बाहर नहीं निकाला जा सकता है। यूपी के लोग भी टनल के अंदर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। लोगों के परिजनों को भी चिंता सता रही है।
इसी के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन दल ने टनल में फंसे लोगों की परिजनों से बात करवाई तो दोनों तरफ खुशी के आंसू झलक गए। उत्तरकाश के सिलक्यारा टनल में फंसे मंजीत कुमार (23 वर्ष) की कुशलक्षेम जानने के लिए जब उसके पिता चौधरी ने ऑक्सीजन पाइप के जरिए आवाज दी तो मंजीत ने तत्काल ही जवाब दिया।
कहा कि मैं ठीक हूं, चिंता करने की जरूरत नही है। अंदर फंसे सभी लोग सुरक्षित हैं। यूपी- उत्तर प्रदेश के लखीमपुर निवासी मंजीत भी रविवार 12 नवंबर से सुरंग के अंदर कैद है। उनके साथ उत्तर प्रदेश के आठ लोग भी टनल में फंसे हैं। सभी के सभी सुरक्षित हैं।
दोपहर को मंजीत के पिता चौधरी अपने भाई शत्रुघ्न व गांव के सीताराम के साथ दोपहर 12 बजे सिलक्यारा पहुंचे। जहां उन्होंने दोपहर बाद अपने बेटे मंजीत से बातचीत की। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में मंजीत के पिता ने बताया कि उसका एक बेटा मुम्बई में इसी तरह की एक कंपनी में काम करते हुए करंट की चपेट में आ गया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी।
चौधरी ने कहा कि बेटे ने बातचीत में कहा कि मैं सुरक्षित हूं, घबराने की जरूरत नही है। चौधरी ने बताया कि उनका बेटा मंजीत रक्षा बंधन के लिए घर आया था। तब से उससे मुलाकात नही हुई। केवल दीपावली के तीन दिन पहले ही उससे बात हुई थी।
मंजीत को लेकर परिवार में चिंता है। सभी भगवान से उसकी सुरक्षा की विनती कर रहे हैं। बताया कि उन्हें यहा पहुंचने के लिए रास्ते का भी मालूम नही था। इसके लिए उन्होंने गांव के अपने परिवार के सीताराम की मदद ली।
झारखंड के अफसर सिलक्यारा पहुंचे
झारखंड सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को टनल में फंसे झारखंड के मजदूरों से बातचीत कर उनकी कुशलक्षेम जानी। टनल में 15 मजदूर झारखंड के फंसे हैं। झारखंड सरकार के प्रतिनिधि के रूप में आईएएस अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम सिलक्यारा पहुंची। सिंह के साथ ही संयुक्त श्रमायुक्त राजेश प्रसाद और प्रदीप रॉबर्ट लकेडा ने पाइप के जरिए टनल में फंसे मजदूरों से बातचीत की।
मजदूर विश्वजीत और सुबोध ने भीतर सबके कुशल होने की जानकारी दी। मजदूरों से बातचीत के बाद झारखंड के अधिकारियों ने मीडिया कर्मियों से बातचीत में कहा कि टनल में फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं। जिस प्रकार रेस्क्यू अभियान चल रहा है, उससे जल्द से जल्द सभी मजदूरों के कुशलतापूर्व रेस्क्यू होने की उम्मीद है।
इंदौर से एयरलिफ्ट कर लाई गई नई ऑगर मशीन
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में टनल में फंसे श्रमिकों को जल्द सुरक्षित बाहर निकालने के लिए इंदौर से एक और ऑगर मशीन शुक्रवार शाम जौलीग्रांट पहुंच गई है। शुक्रवार को सुबह 10.30 बजे से शुरू हुए रेस्क्यू अभियान के तहत अब तक पांच पाइप टनल के मलबे में ड्रिल किए जा चुके है। ड्रिलिंग की प्रक्रिया लगातार जारी है।
एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको के अनुसार इंदौर से मशीन को एयर लिफ्ट कर लाया गया। ऑगर मशीन को इंदौर से एयर लिफ्ट कराते हुए जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर लाने के बाद सड़क मार्ग से मशीन को सिलक्यारा पहुंचाया जाएगा। इस मशीन के आने से रेस्क्यू अभियान में और तेजी लाई जा सकेगी।
बीते रोज देर रात दो बजे करीब ड्रिलिंग प्रक्रिया कुछ देर बाधित हुई थी। मलबे में बोल्डर होने की वजह से पाइप आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इंजीनियरों को ड्रिलिंग को रोकना पड़ा। इंजीनियर खुद पाइप के भीतर पहुंचे और बोल्डर और सरिया को काटकर रास्ता साफ किया।
कुछ देर बाद मशीन को दोबारा चालू कर दिया गया। शुक्रवार दोपहर रेस्क्यू अभियान के बीच मीडिया कर्मियों से बातचीत में खलको ने बताया कि इस्केप टनल बनाने के लिए पाइप पुशिंग लगातार जारी है।
उत्तरकाशी टनल में फंसे मंजीत की कहानी जान रो पड़ेंगे
उत्तराकशी टलन हादसे में छठे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। दीपावली की सुबह से टनल में फंसे बेटे की आवाज सुनकर पिता की जान में जान आ गई तो वहीं खुशी के मारे आंखों से आंसू भी छलक उठे। बेटे के टनल में फंसने की खबर सुनकर एक पिता अफरातफरी में लखीमखीरी से चल कर किसी तरह उत्तरकाशी में सिल्क्यारा तक पहुंचे। सिल्क्यारा पहुंचने पर वहां का नजारा देखकर एक बार उनकी हिम्मत जवाब दी गई, लेकिन जब वहां मौजूद कर्मियों ने अंदर फंसे उनके बेटे मंजीत कुमार से वॉकीटॉकी के जरिए बात कराई तो उनकी जान में जान आ गई।
टनल हादसे ने बेहद डरा दिया
उत्तर प्रदेश के भेरमपुर मंघा लखीमखीरी निवासी चौधरी शुक्रवार को अपने दो चचेरे भाईयों शत्रुघ्न और सीताराम के साथ उत्तरकाशी के सिल्क्यारा पहुंचे। चौधरी अपने परिवार की गुजर-बसर के लिए भेरमपुर में ही मजदूरी करते हैं। डेढ़ साल पहले मुंबई में हुए एक हादसे में अपने बेटे को खो चुके हैं इसलिए टनल हादसे ने उनको बेहद डरा दिया। अपने बेटे की खबर लेने के लिए वह किसी तरह उत्तरकाशी पहुंचे।
जैसे ही बेटे की सुनी आवाज जान में जान आई
दरअसल यहां का मंजर देख कर अपने बेटे के लिए उनके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था , किन जब बेटे से बात हुई और उसकी कुशलता पता चली तो उन्होंने चैन की सांस ली। चौधरी का कहना था कि वह अपने बेटे को लेकर बेहद चिंतित है।
दिवाली से पहले हुई थी बात
दिवाली से 3 दिन पहले ही उनकी बात हुई थी और मंजीत ने जल्द ही घर आने की बात कही थी। इससे पहले वह रक्षाबंधन पर ही घर आया था। 14 नवंबर को जब इस घटना की सूचना उन्हें मिली थी तो वे लोग बुरी तरह से घबरा गए थे लेकिन अब बेटे की आवाज सुनकर उन्हें कुछ तसल्ली हुई है। उन्होंने कहा कि रेस्क्यू अभियान चल रहा है। उनके बेटे के साथ ही अन्य श्रमिक भी जल्द ही सुरक्षित बाहर आ जाएंगे।
बड़ा बेटा हुआ था हादसे का शिकार
चौधरी ने बताया कि मंजीत का बड़ा भाई भी एक हादसे का शिकार हो गया था। वह मुंबई में एक निर्माण कंपनी में काम करता था। काम के दौरान करंट लगने से उसकी मौत हो गई थी। बड़े बेटे की हादसे में मौत ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया था। जब मंजीत के सुरंग में फंसने की घटना घर में पता चली तो सब बेहाल हो गए और दिन-रात बेटे की सुरक्षा की प्रार्थना कर रहे हैं।
'भाई मैं ठीक हूं लेकिन मां को मत बताना'
वहीं उत्तराखंड के चंपावत जिले के छीनीगोठ का 25 वर्षीय पुष्कर सिंह ऐरी भी पिछले 6 दिनों से सुरंग में कैद है। पुष्कर की चिंता में जब उनके बड़े भाई विक्रम सिल्क्यारा पहुंचे तो बेहद डरे हुए थे। लेकिन जब उन्होंने पाइप के जरिए पुष्कर से बात की तो वे बेहद भावुक हो गए। इस दौरान पुष्कर ने अपने ठीक होने की बात कही तो उन्होंने राहत की सांस ली। पुष्कर ने कहा कि भाई मैं ठीक हूं लेकिन मां को मत बताना कि मैं सुरंग के अंदर फंसा हुआ हूं। वह घबरा जाएंगी।
बूमर मशीन पर हेल्पर का मिला काम
पुष्कर के भाई विक्रम ने बताया कि पुष्कर एक साल पहले रोजगार की तलाश में चंपावत से उत्तरकाशी आए थे। यहां उन्हें बूमर मशीन पर हेल्पर के रूप में काम मिला। 11 नवंबर को पुष्कर की रात की ड्यूटी थी जहां पर भूस्खलन हुआ है उसी के पास काम चल रहा था तब पुष्कर ने किसी तरह भागकर जान बचाई थी।
'रोजगार तो कहीं और भी मिल जाएगा'
विक्रम ने बताया कि घटना की सूचना से परिवार के सदस्यों के साथ ही पूरे क्षेत्र में लोग चिंता में हैं। पुष्कर के हाल-चाल जानने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण घर पहुंच रहे हैं जिसके कारण मां को भी इस घटना का पता चल गया है और वह भी पुष्कर की चिंता कर रही है। विक्रम का कहना है कि भाई सकुशल बाहर आ जाए तो वह उसे यहां से ले जाएंगे। रोजगार तो कहीं और भी मिल जाएगा।
टनल में फंसे लोगों की सूची
नाम प्रदेश
विश्वजीत कुमार झारखंड
सुबोध कुमार झारखंड
अनिल बेदिया झारखंड
श्राजेद्र बेदिया झारखंड
सुकराम झारखंड
टिंकू सरदार झारखंड
गुनोधर झारखंड
रणजीत झारखंड
रविंद्र झारखंड
महादेव झारखंड
भक्तू मुर्मू झारखंड
समीर झारखंड
चमरा उरॉव झारखंड
विजय हीरो झारखंड
गणपति झारखंड
अंकित उत्तर प्रदेश
राम मिलन उत्तर प्रदेश
सत्यदेव उत्तर प्रदेश
संतोष उत्तर प्रदेश
जय प्रकाश उत्तर प्रदेश
राम सुंदर उत्तर प्रदेश
मंजीत उत्तर प्रदेश
अखिलेश कुमार उत्तर प्रदेश
विशेषर नायक ओडिशा
तपन मंडल ओडिशा
भगवान बत्रा ओडिशा
राजू नायक ओडिशा
धीरेन ओडिशा
वीरेंद्र किसकू बिहार
सबाह अहमद बिहार
सोनू शाह बिहार
सुशील कुमार बिहार
मनिर तालुकदार पश्चिम बंगाल
सेविक पखेरा पश्चिम बंगाल
जयदेव परमानिक पश्चिम बंगाल
संजय असम
राम प्रसाद असम
पुष्कर उत्तराखंड
गब्बर सिंह उत्तराखंड
विशाल हिमाचल प्रदेश