भोपाल
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के उम्मीदवीरों की लिस्ट जबसे आई है, तभी से इसका विरोध शुरु हो गया है। एमपी कांग्रेस में बगावत के सुर फूट पडे हैं। बड़े नेताओं में भी सुर अलग-अलग है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल सकती है।
144 उम्मीदवारों की लिस्ट में लगभग 8-10 सीटों पर विरोध कुछ ज्यादा ही है। इनमें से कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के पुतले ही जला दिए गए हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर किस आधार पर ये टिकट बांटे गए हैं। टिकट बंटवारे में किस नेता की सिफारिश चली है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, बल्कि कई बड़े नेता भी दबी जुबान से इस बात को मान रहे हैं कि टिकट बंटवारे में गड़बड़ी हुई है।
इस लिस्ट में जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह शिवपुरी की पिछोर सीट से विधायक के.पी. सिंह का है। इस लिस्ट में उनकी सीट बदली गई है। पार्टी ने उन्हें शिवपुरी से उम्मीदवार बनाया है। खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी इससे चकित हैं। इस सीट पर बीजेपी छोड़कर आए वीरेंद्र रघुवंशी का नाम आगे चल रहा था। पिछले दिनों जब उनके समर्थकों ने कमलनाथ को घेरा, तो पूर्व मुख्यमंत्री ने दिग्विजय सिंह का नाम लेकर कह दिया कि जाकर उनके कपड़े फाड़िए।
केपी सिंह के नाम पर भी उठ रहे सवाल
सबसे ज्यादा चर्चाओं में केपी. सिंह का नाम है क्योंकि वह पिछोर से चुनाव जीतते आ रहे हैं. मगर इस बार उन्हें शिवपुरी से उम्मीदवार बना दिया गया है. इससे खुद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी आश्चर्यचकित हैं.
इन सीटों के उम्मीदवारों पर कन्फ्यूजन
इतना ही नहीं कुछ और सीटें हैं जिनकी चर्चा हो रही है इनमें दतिया, छतरपुर जिले की बिजावर, टीकमगढ़ जिले की खरगपुर और निमांड-मालवा की भी दो ऐसी सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस नेता यह जान ही नहीं पा रहे हैं कि आखिर इनका नाम आ कैसे गया है क्योंकि जिले स्तर से जो नाम भेजे गए थे, उन नाम में वह नाम था ही नहीं, जिसे उम्मीदवार बनाया गया है.
सौदेबाजी के लग रहे आरोप
सूत्रों का कहना है कि कुछ बड़े नेताओं ने अपनी मनमर्जी से सर्वे के नाम पर ऐसे लोगों को उम्मीदवार बना दिया है जो कांग्रेस के लिए घातक हैं और पार्टी का जमीनी कार्यकर्ता उससे नाराज है. कई नेता तो खुले तौर पर सौदेबाजी तक के आरोप लगाने में लगे हैं. यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व कुछ नाम में बदलाव करने की तैयारी में है और आने वाले एक-दो दिनों में यह बात सामने भी आ सकती है.
जिन सीटों पर उम्मीदवार बदलने की चर्चा हो रही है, उनमें दतिया, बिजावर, खरगपुर और मालवा-निमाड़ की भी दो ऐसी सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस नेता भी नहीं जान पा रहे हैं कि आखिर इनका नाम कैसे आ गया है। जिला स्तर से जो नाम भेजे गए थे, उन नाम में वह नाम था ही नहीं, जिसे उम्मीदवार बनाया गया है।
सूत्रों की मानें तो कुछ बड़े नेताओं की सर्वे के नाम पर की गई मनमर्जी की वजह से ऐसे लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि ये लोग कांग्रेस के लिए घातक हैं। पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता नाराज हैं। कई नेताओं ने पार्टी पर खुले तौर पर सौदेबाजी का आरोप लगाया है। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व कुछ नाम में बदलाव करने की तैयारी में है और आने वाले एक-दो दिनों में यह बात सामने भी आ सकती है।