रांची। राजद अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को शुक्रवार को चारा घोटाले के एक मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। हालांकि, लालू फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। क्योंकि, चारा घोटाले के तीन मामलों में वह सजायाफ्ता हैं। ऐसे में जब तक दो अन्य मामलों में भी उनको जमानत नहीं मिलती है उनका जेल से बाहर आ पाना मुमकिन नहीं है। लालू ने इसी साल 13 जून को झारखंड हाईकोर्ट में देवघर कोषागार मामले में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। 5 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की और प्रार्थी को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था। शुक्रवार को सुनवाई के बाद कोर्ट ने लालू की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया। लालू को चारा घोटाले के दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार मामले में सीबीआई कोर्ट ने सजा सुनाई थी। ऐसे में चाईबासा-दुमका मामले में लालू को जमानत नहीं मिली है। हालांकि, बताया जा रहा है कि अब लालू के वकील देवघर कोषागार केस में मिली जमानत को आधार बनाकर दुमका-चाईबासा मामले में जमानत के लिए याचिका डाल सकते हैं। चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख 27 की अवैध निकासी के मामले में 23 दिसंबर 2017 को लालू यादव को दोषी ठहराया था। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने लालू को साढ़े 3 साल की सजा सुनाई थी। लालू सजा की आधी अवधि जेल में काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुतबिक, सजा की आधी अवधि जेल में काटने पर सजायाफ्ता को जमानत दी जा सकती है। इसी को आधार बनाकर लालू यादव ने झारखंड हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। चारा घोटाले से जुड़े दुमका मामले में लालू को 5 साल जबकि चाईबासा मामले में उन्हें 7 साल की सजा कोर्ट ने सुनाई थी। लालू की यह तीनों सजा एक साथ चल रही है। वह रांची जेल में सजा काट रहे हैं। पिछले साल 17 मार्च को लालू की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पहले रिम्स और फिर दिल्ली एम्स में भर्ती किया गया था। बाद में कोर्ट ने उन्हें 11 मई को इलाज के लिए छह हफ्ते की पैरोल मंजूर की थी। इसे बढ़ाकर 14 और फिर 27 अगस्त तक किया। इसके बाद 30 अगस्त को लालू को कोर्ट में सरेंडर करने का निर्देश दिया था।