नई दिल्ली
Apple ब्रांडेंड iPhone परिचय का मोहताज नहीं है। आज हर एक व्यक्ति की ड्रीम लिस्ट में लेटेस्ट आईफोन मॉडल शामिल होता है। इसकी वजह है कि आईफोन काफी यूजर फ्रेंडली और सिक्योर होता है। साथ ही आईफोन इनोवेशन में सबसे आगे रहता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि ऐपल आईफोन बनने के पीछे की कहानी काफी रोमांचक है।ऐसे में आज हम आपको आईफोन 15 लॉन्च के दिन पर पहले आईफोन के बनने की कहानी से रूबरू कराएंगे।
आईफोन एक दिन की मेहनत नहीं
साल 2004 तक मोबाइल की-पैड के साथ आते थे। ऐसे में पहली बार स्टीव जॉब के दिमाग में टच स्क्रीन वाला स्मार्टफोन बनाने का आइडिया आया। इस प्रोजेक्ट का नाम पर्पल डॉर्म रखा गया। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इंजीनियर्स की टीम ने दिन-रात काम किया। इसे एक सील्ड लैब में बनाया जाता था, जिसी खिड़कियां और दरवाजे बंद रहते थे।
इंजीनियर्स हो गए गायब
ऐसा कहा जाता है कि काबिल इंजीनियर्स की एक पूरी टीम ढ़ाई साल तक गायब हो गई, जो आईफोन बनाने पर काम कर रही थी। आईफोन बनाने के काम को बेहद सीक्रेट रखा गया। इंजीनियर्स की टीम ने करीब ढ़ाई साल आईफोन बनाने पर काम किया। इसके बाद साल 2007 में पहली बार आईफोन को लॉन्च किया गया। लॉन्च के 6 माह बाद आईफोन को बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया।
कीमत और खूबियां
आईफोन की कीमत 499 डॉलर (आज के वक्त करीब 40 हजार रुपये) हुआ करती थी। यह रकम उस वक्त काफी ज्यादा हुआ करती थी। लेकिन इसके बावजूद 1 हफ्ते में करीब 2.5 लाख आईफोन बिक गए। जबकि 1 माह में करीब 10 लाख आईफोन की सेल हुई। आईफोन में 3.5 इंच की डिस्प्ले थी, जो पूरी तरह से टचस्क्रीन थी। उस वक्त टचस्क्रीन स्मार्टफोन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। इसमें 2MP का कैमरा और 8GB रैम दी गई।
आईफोन में हमेशा नई चीजें देखने को मिलती है। आईफोन में पहली बार फुल स्क्रीन टचस्क्रीन का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही वायरलेस चार्जिंग और डायनामिक आइलैंड फीचर को पहली बार दिया गया। वही ऐपल का इकोसिस्टम काफी मजबूत है, जिससे आईफोन की डिमांड ज्यादा रहती है। दरअसल ऐपल आईफोन में खुद की चिपसेट, ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही ऐपल के पास खुद का प्ले स्टोर है, जहां से यूजर्स ऐप्स को डाउनलोड कर सकते हैं। आज ऐपल की कुल कमाई में आज के वक्त में आईफोन की हिस्सेदारी करीब 60 फीसद है। वही ऐपल ने अब तक करीब 230 करोड़ आईफोन की बिक्री की है।