नई दिल्ली
दशकों तक परंपरागत रूप से तेल विक्रेता और खरीददार के रूप में रहे सऊदी अरब और भारत ने अब ऊर्जा क्षेत्र में नए रिश्तों की बुनियाद रखी है। दोनों देशों ने सोमवार को बिजली ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन क्षमताओं के लिए समुद्र के भीतर इंटरलिंक बनाने की दिशा में काम करने पर सहमति जताते हुए अपने पारंपरिक तेल क्रेता-विक्रेता संबंध को ऊर्जा साझेदारी में बदलने की योजना बनाई है। भारत और सऊदी अरब ने समुद्र के अंदर केबल के साथ पावर ग्रिड बनाने पर सहमति जताई है।
केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और उनके सऊदी समकक्ष अब्दुलअज़ीज़ बिन सलमान अल-सऊद ने द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौते के मुताबिक, भारत की स्थिति को सऊदी अरब से तेल और रसोई गैस (एलपीजी) के शुद्ध खरीदार से हरित ऊर्जा और हाइड्रोजन निर्यात करने वाले ऊर्जा निर्यातक में बदलने की क्षमता है। सऊदी अरब भारत के लिए तेल का तीसरा सबसे बड़ा और एलपीजी का सबसे बड़ा स्रोत है।
समुद्र के अंदर इंटरकनेक्टिंग केबल दूरगामी परिणाम वाला सबसे महत्वाकांक्षी और तकनीकी रूप से चुनौतीभरा काम है। इस योजना की सफलता दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को एक सूत्र में बांध देगा। उम्मीद जताई जा रही है कि ये योजना जब भी यह साकार होगी, यह मुख्य रूप से हरित ऊर्जा के लिए वैश्विक ग्रिड के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अति महत्वाकांक्षी 'वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड' दृष्टिकोण में पहला ऑफशोर लिंक होगा। दुनिया भर में समुद्र के अंदर 485 बिजली केबल परिचालन में हैं, जिनमें सबसे लंबा यूके और डेनमार्क के बीच वाइकिंग लिंक है।
भारत ने साल 2008 में मन्नार की खाड़ी के पार श्रीलंका के साथ 500 मेगावाट के समुद्र के अंदर पावर लिंकिंग का प्रस्ताव रखा था। पावरग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने तब इसकी लागत 2,292 करोड़ रुपये आंकी थी और कहा था कि इसे 42 महीनों में पूरा किया जा सकता है लेकिन श्रीलंका के रुख में आए बदलने के बाद प्रस्ताव को स्थगित करना पड़ा था।
फिलहाल भारत बांग्लादेश और नेपाल को बिजली निर्यात करता है और भूटान से बिजली आयात करता है। भारत म्यांमार और उससे भी आगे के देशों में ग्रिड कनेक्टिविटी का विस्तार करने पर विचार कर रहा है। नई ऑफशोर केबल लिंकिंग से यह सपना पूरा हो सकता है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत और सऊदी अरब ने सोमवार को ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग तथा द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बयान के अनुसार, "भारत सरकार और सऊदी अरब की सरकार के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर 10 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी में हस्ताक्षर किए गए।"
समझौता ज्ञापन के अनुसार, भारत और सऊदी अरब नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, हाइड्रोजन, बिजली और दोनों देशों के बीच ग्रिड इंटरकनेक्शन, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार तथा ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग करेंगे। इसका मकसद नवीकरणीय ऊर्जा, बिजली, हाइड्रोजन तथा भंडारण और तेल व गैस के क्षेत्र में द्विपक्षीय निवेश को प्रोत्साहित करना है।