कई मरीज रक्ताल्पता अथवा एनीमिया को साधारण बीमारी समझने की भूल कर बैठते हैं जिसका खामियाजा उन्हें सेहत से जुड़ी कई कॉम्प्लीकेशंस के रूप में भुगतना पड़ता है। कई बार तो तो ये छोटी सी लापरवाही बहुत खतरनाक साबित
होती है।
इसलिये एनीमिया से जुड़े लक्षण नजर आते ही इसका सुयोग्य चिकित्सकों की देखरेख में समुचित इलाज शुरू कर दें। इसे साधारण बीमारी समझकर नजरअंदाज हर्गिज न करें। ये सलाह द इंटरनेशनल फोरम फॉर प्रमोशन ऑफ होम्योपैथी द्वारा एनीमिया की रोकथाम विषय पर आयोजित वेबिनार में केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय की वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी ने मुख्य वक्ता के रूप में कही। उन्होंने बताया कि अब होम्योपैथी द्वारा भी एनीमिया का समुचित और त्वरित इलाज संभव हो गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस इलाज में मरीजों को दी जाने वाली होम्योपैथिक दवाइयों का कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता है। शरीर के सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन, रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद हीमोग्लोबिन ही पहुंचाता है। आयरन की कमी और दूसरी वजहों से रेड ब्लड सेल्स और हीमोग्लोबिन की मात्रा जब शरीर में कम हो जाती है, तो उस स्थिति को एनीमिया कहते हैं।
आॅक्सीजन की कमी से शरीर और दिमाग के काम करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। हमारे देश में आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया 60 % से अधिक मरीजों में पाया जाता है। अब होम्योपैथी द्वारा भी एनीमिया का समुचित और त्वरित इलाज संभव हो गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इस इलाज में मरीजों को दी जाने वाली होम्योपैथिक दवाइयों का कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता है। डॉ. एम. के. साहनी ने कहा कि डॉ. द्विवेदी होम्योपैथिक इलाज के द्वारा जिस तरह एनीमिया मरीजों को ठीक कर सरकार के *एनीमिया उन्मूलन कायर्क्रम* सहयोग कर रहें है वह प्रशंसनीय होने के साथ-साथ अनुकरणीय भी है। मेरा मानना है कि एनीमिया निंयत्रण के कार्य में सबसे बड़ी भूमिका खुद मरीज की है।