नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकतंत्र का प्रतीक संसद भवन को 28 मई 2023 यानी आज राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। करीब 32 साल पहले देश ने नए संसद भवन का जो सपना देखा था, वह अब पूरा हो गया है।
ढाई साल में तैयार हुआ यह भवन हाईटेक सुविधाओं से लैस होने के साथ ही भारतीय कला और संस्कृति का भी पूर्ण रूप से परिचय देता है। जहां, एक ओर 20 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह में शामिल होने से इनकार किया था, तो वहीं विभिन्न प्रमुख हस्तियों, साधु-संतों और अधिनम महंतों की उपस्थिति में देश को लोकतंत्र का प्रतीक मिल गया है। उद्घाटन समारोह का कार्यक्रम भव्य रहा है। जानें संसद के उद्घाटन समारोह की 10 बड़ी बातें.
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हुआ था कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय संस्कृति की पहचान लिए खास पोशाक धोती-कुर्ता में सुबह 7:15 बजे संसद भवन के उद्घाटन समारोह में पहुंच गए थे। उनके साथ लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला भी थे। पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह शुरू हुआ था। करीब एक-घंटे तक हवन-पूजा का कार्यक्रम तमिलनाडु से आए अधीनम संत के मंत्रोच्चार के साथ पूरा हुआ।
सेंगोल के आगे दंडवत हुए पीएम
पूजा कार्यक्रम के बाद तमिलनाडु से आए शैव पुरोहितों ने PM नरेंद्र मोदी को सेंगोल भेंट किया। पीएम ने उसे साष्टांग दण्डवत किया और फिर अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में 'सेंगोल' को संसद भवन में स्थापित किया गया है। सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया है।
पीएम ने लिया अधीनम संतों से आशीर्वाद
संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के बाद पीएम मोदी ने तमिलनाडु के विभिन्न अधीनम संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, उन्होंने उद्घाटन के बाद भवन के निर्माण में काम करने वाले श्रमिकों को सम्मानित किया।
ये लोग रहे शामिल
संसद भवन के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री जितेंद्र सिंह, कई राज्यों के मुख्यमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी उपस्थित रहे थे।