नई दिल्ली
प्रतीकात्मक चीन एलएसी के मध्य क्षेत्र और पूर्वी क्षेत्रों में लगातार मॉडल विलेज या 'शियाओकांग' (मध्यम समृद्ध) गांवों के नेटवर्क का विस्तार करना जारी रखे हुए है। इसका अलावा चीन एलएसी से 6-7 किलोमीर दूर के मध्य इलाके में भी नई चौकियां बना रहा है। द हिन्दू के एक सूत्र ने खुफिया सूचनाओं का हवाला देते हुए कहा कि बाराहोती के सामने जहां अतीत में भारत-चीन का आमना-सामना हुआ है, वहां ड्रैगन तेज गति से गांवों का निर्माण कर रहा है। सूत्र के अनुसार चीन द्वारा गांवों के निर्माण की गति इतनी तेज है कि वे 3 महीने में बहुमंजिला ब्लॉकों में 300-400 घर बना रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चीन द्वारा एलएसी के पास के कुछ क्षेत्रों में गश्त की घटनाएं काफी बढ़ गई है। हाल में पीएलए की गश्त 15 दिनों या उससे भी कम समय में देखी गई है। पहले एक सीजन में एक बार गश्त की जाती थी, जो लगभग तीन या चार महीने होती है। सूत्र के मुताबिक माणा, नीति और थंगला इलाकों में भी पीएलए के छोटे-छोटे गश्ती दल देखे जा रहे हैं। एक दूसरे सूत्र ने द हिन्दू के बताया कि थोलिंग क्षेत्र के उत्तर-पश्चिम में एक संभावित सीमावर्ती गांव का निर्माण देखा गया है और एक सैन्य परिसर भी पास में बन रहा है। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि दोनों स्थानों पर इमारतों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के पास एलएसी के विपरीत इलाके में कामेंग क्षेत्र के पास कुना में दो गांव तैयार किए गए हैं। इसमें 41 आवास इकाइयां, ग्रीनहाउस और सौर-प्रकाश व्यवस्था शामिल हैं।
सूत्र के मुताबिक इन गांवों में मेनबा जातीय समुदाय के लगभग 200 लोग बसाए गए हैं। सूत्र ने कहा कि कई अन्य स्थानों की तरह, गांव के निकट एक सैन्य परिसर है, जिसमें बहुमंजिला इमारतें हैं। इस सैन्य परिसर को सीसीटीवी, वॉच टावर और ऊंची दीवारों से सुरक्षित किया गया है।