नईदिल्ली. कर्नाटक की सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की जंग फतह करने की तैयारी में जुट गई है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं, जिसमें से हिंदी बेल्ट वाले तीनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. इसी के मद्देनजर कांग्रेस ने चुनावी राज्यों के नेताओं की दो दिवयीय बैठक दिल्ली में बुलाई है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में पहले दिन शुक्रवार को मध्य प्रदेश के नेताओं के साथ बैठक होगी. इसके बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के नेताओं के साथ शनिवार को बैठक होनी है. राजस्थान को लेकर होने वाली बैठक स्थागित कर दी गई है. इस तरह से कांग्रेस दो दिनों तक चार राज्यों के चुनाव को लेकर मंथन और रणनीति पर विचार-विमर्श करेगी.
देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. इन पांच राज्यों में से दो राज्यों में कांग्रेस और एक राज्य में बीजेपी की सरकार है जबकि बाकी राज्यों में क्षेत्रीय दलों का कब्जा है.
साल 2018 में कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रही थी, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कांग्रेस के हाथों से मध्य प्रदेश की सत्ता निकल गई थी. यही वजह है कि कांग्रेस इस बार काफी पहले से चुनावी तैयारी में जुटी है.
पांच राज्यों के सीटों का समीकरण
देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उसमें मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230, लोकसभा की 29 और राज्यसभा की 11 सीटें हैं. मिजोरम में विधानसभा की कुल 40 सीटें हैं. यहां लोकसभा की 1 और राज्यसभा की 1 सीट है. राजस्थान में विधानसभा की कुल 200 सीटें हैं, जबकि लोकसभा की 25 और राज्यसभा की 10 सीटें हैं.
छत्तीसगढ़ में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं, लोकसभा की 11 और राज्यसभा की 5 सीटें हैं. तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं. यहां लोकसभा की 17 और राज्यसभा की 7 सीटें हैं. इस तरह से पांच राज्यों में कुल 83 लोकसभा सीटें है, जो मिशन-2024 के लिहाज से काफी अहम मानी जा रही हैं.
कर्नाटक के पैटर्न पर कांग्रेस
कर्नाटक चुनाव नतीजे के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं और उसी पैटर्न पर आगामी पांच राज्यों के चुनाव में उतरने की तैयारी में है. कांग्रेस मुख्यालय में इन चार राज्यों के पार्टी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें होनी है. प्रदेश इकाई के प्रमुखों या प्रभारियों और संबंधित राज्यों के वरिष्ठ नेता शिरकत करेंगे. खड़गे और चुनाव रणनीतिकार एवं प्रशांत किशोर के पूर्व सहयोगी सुनील कानूगोलू विधानसभा चुनाव के अगले दौर के लिए पार्टी की तैयारियों की रणनीति बनाने के लिए प्रदेश इकाइयों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श का हिस्सा लेंगे.
देश के जिन पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उनमें से राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस द्वारा शासित दो राज्य हैं, जहां कांग्रेस के पास अशोक गहलोत और भूपेश बघेल के रूप में मजबूत स्थानीय नेतृत्व है. हालांकि, कांग्रेस को दोनों ही जगहों पर गुटबाजी का सामना करना पड़ रहा है. राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव है तो छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच. गहलोत और पायलट के बयानबाजी के चलते ही माना जा रहा है कि शुक्रवार को होने वाली बैठक को स्थागित कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश को लेकर मंथन
मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में होने वाली चुनावी राज्यों की बैठक में सबसे पहले मध्य प्रदेश के नेताओं के साथ चर्चा की जाएगी. मध्य प्रदेश के पार्टी प्रभारी जेपी अग्रवाल, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, राज्य के पूर्व पीसीसी अध्यक्ष और राज्य के सांसद सहित 11 नेता शिरकत करेंगे. मध्य प्रदेश और कर्नाटक में बहुत सारी समानताएं है. पिछली बार की तरह इस बार भी शिवराज बनाम कमलनाथ के बीच चुनावी मुकाबला होना तय माना जा रहा है. कांग्रेस कमलनाथ के चेहरे को आगे कर ही चुनावी तैयारी में जुटी है तो दिग्विजय सिंह भी पूरे दमखम लगाए हुए हैं.
कांग्रेस के पांच वादे
- गैस सिलेंडर 500 रुपये में देंगे
- हर महिला को 1500 रुपये महीने पेंशन
- बिजली 100 यूनिट माफ, 200 का बिल हाफ
- किसानों का कर्ज होगा माफ
- पुरानी पेंशन योजना होगी बहाल
छत्तीसगढ़ नेताओं की कल बैठक
कांग्रेस छत्तीसगढ़ को लेकर काफी आश्वस्त है, लेकिन चुनाव में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है. राज्य के मुख्यमंत्री और पार्टी नेताओं के साथ शनिवार को बैठक होगी. कर्नाटक की तर्ज पर ही कांग्रेस काम कर रही है. चुनाव के ठीक पहले पार्टी ने छत्तीसगढ़ में बीजेपी के दिग्गज और आदिवासी नेता नंदकुमार साय को कांग्रेस पार्टी में शामिल कराके अपनी ताकत दिखाई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने विकास कार्यों और लोकलुभाने वादे के चुनावी मैदान में उतरने की रूपरेखा बनाई है.
हालांकि, पार्टी के सामने सबसे बड़ी दिक्कत भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के बीच छत्तीस के आंकड़े हैं. ऐसे में कांग्रेस अगर दोनों ही नेताओं के बीच संतुलन बनाने में सफल रहती है तो सत्ता में वापसी की राह में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं होगी. भूपेश बघेल जातीय समीकरण के साथ-साथ साफ्ट हिंदुत्व के पिच पर भी मजबूती से खड़े हैं.
छत्तीसगढ़ में समीकरण
- सीट विधानसभा सीटें-90
- बहुमत के लिए-46
- विधानसभा की स्थिति- कांग्रेस 71, बीजेपी 14, जोगी कांग्रेस 3, बसपा 2 सदस्य
- लोकसभा सीट-11
- 2019 चुनाव नतीजे-बीजेपी 9 और कांग्रेस 2
मिजोरम-तेलंगाना की कल बैठक
पूर्वोत्तर के मिजोरम और दक्षिण भारत के तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे शनिवार को बैठक करेंगे. मिजोरम में कांग्रेस अपनी वापसी की कवायद में जुटी है, लेकिन पूर्वोत्तर में बीजेपी की अगुवाई वाले गठबंधन का आधार मजबूत हुआ है, उससे कांग्रेस के सामने काफी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. मिजो नेशनल फ्रंट पिछली बार 26 सीटें जीतकर सत्ता में आई थी और कांग्रेस 34 सीटों से घटकर 5 पर आ गई है. बीजेपी महज एक सीट जीत सकी थी. ऐसे में कांग्रेस के लिए मिजोरम में सबसे ज्यादा चुनौती है.
तेलंगाना को लेकर कांग्रेस पूरा फोकस कर रही है, लेकिन केसीआर की बीआरएस और बीजेपी दोनों ही उसके लिए मुश्किलें पैदा कर रखी है. हाल ही में प्रियंका गांधी ने तेलंगाना में बड़ी रैली कर पूरी ताकत के साथ चुनाव मैदान में उतरने के संकेत दिए है. कांग्रेस को अपने खोए हुए सियासी जनाधार को पाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है.
राजस्थान की बैठक स्थागित
राजस्थान नेताओं की दिल्ली में होने वाली बैठक स्थागित कर दी गई है. सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट का दिल्ली जाने का कार्यक्रम रद्द हो गया है. राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच बढ़ते टकराव से पार्टी की चिंताएं जरूर बढ़ी हुई है. हालांकि पार्टी ने इसे थामने के लिए उच्च स्तर पर मंथन शुरू कर दिया है. राहुल गांधी खुद इस मामले में रूचि ले रहे है. राजस्थान की बात करें तो उसके सामने मुख्य और सीधे मुकाबले में खड़ी बीजेपी से है.
राजस्थान का समीकरण
- विधानसभा सीट-200
- 2018 के नतीजे- कांग्रेस 100, बीजेपी 72, बसपा 6, आरएलपी 3, निर्दलीय 20
- लोकसभा सीट-25
- 2019 में सभी 25 सीटें बीजेपी ने जीती