इंदौर
देशभर में अब समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का कुल आंकड़ा 25.9 मिलियन टन पर पहुंच गया है। यह आंकड़े 15 मई तक है। अंत: तक खरीदी 27 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है। सरकार अब निश्चिंत हो सकती है। दरअसल सरकारी खरीदी के सहारे अब गोदामों में सार्वजनिक वितरण की आवश्यकता से 8 मिलियन टन भंडारण ज्यादा हो चुका है। बफर स्टाक के साथ सरकार की कुल आवश्यकता 18.4 मिलियन टन की रहती है।
एक वर्ष पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का आंकड़ा सिर्फ 18.04 मिलियन टन तक ही सीमित था। बीते वर्ष 15 वर्षों में सबसे कम गेहूं का सरकारी भंडारण हो सका था। अब तक सबसे ज्यादा 13.2 मिलियन टन की खरीदी पंजाब से हुई है। मप्र ने 8 मिलियन टन की खरीदी की है। इतना ही लक्ष्य प्रदेश ने तय किया था। हरियाणा ने 7.5 लाख टन गेहूं खरीदी की है। अब मप्र को उम्मीद है कि केंद्र सरकार सेंट्रल पूल के लिए प्रदेश से खरीदी की मात्रा बढ़ाएगी।
दरअसल आखिरी दौर की वर्षा के कारण इस बार मप्र में सरकार ने एफएक्यू क्वालिटी के नियमों में ढील दी थी। ऐसे में बड़े पैमाने पर कमजोर गुणवत्ता वाला गेहूं भी खरीदा गया है। देखने वाली बात होगी कि केंद्र सरकार मप्र से सेंट्रल पूल में कितना गेहूं लेती है।
दूसरी ओर सरकारी खरीदी सिमटने के बाद जल्द ही प्रदेश में वेयर हाउस से गेहूं के परिवहन पर लगा प्रतिबंध समाप्त होने की उम्मीद है। इसके बाद मंडियों में गेहूं की आवक बढ़ सकती है। अभी सभी मंडियों में गेहूं के दाम एमएसपी से ऊपर बने हुए हैं। आवक बढ़ने और सरकारी खरीदी थमने के बाद गेहूं के दामों में नरमी की उम्मीद की जा सकती है।