नई दिल्ली
कर्नाटक चुनाव के नतीजे आए चार दिन हो गए लेकिन अभी भी वहां मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बरकरार है। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पलड़ा भारी है लेकिन कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी रेस से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर कई दौर की बैठक और बातचीत हुई लेकिन अभी तक नतीजा सिफर ही रहा है। रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि डीके शिवकुमार तीन और सिद्धा दो साल के मुख्यमंत्री के फार्मूले पर भी राजी नहीं हैं, जबकि उनके खिलाफ सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स के कई मामले दर्ज हैं। इस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं कि आपराधिक मामलों की वजह से डीके शिवकुमार शायद सीएम पद की रेस से बाहर हो जाएं लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
कौन किसके साथ?
सूत्रों के मुताबिक, सिद्धारमैया जहां राहुल गांधी और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की पसंद हैं, वहीं पार्टी के संकटमोचक कहे जाने वाले डीके शिवकुमार के सोनिया गांधी से बेहद अच्छे रिश्ते हैं। हालांकि, अधिकांश विधायक भी सिद्धारमैया को पसंद कर रहे हैं। पार्टी के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला दोनों ही नेताओं को लेकर न्यूट्रल चल रहे हैं। मौजूदा पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 2013 में सीएम पद की रेस में सिद्धारमैया के खिलाफ थे।
सिद्धारमैया का पलड़ा भारी क्यों?
सिद्धारमैया की छवि साफ-सुथरी रही है और एक जन नेता के रूप में पहचान रही है। वह कुरुबा समुदाय से आते हैं, जो कर्नाटक में पूरी आबादी की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाली जाति मानी जाती है। सिद्धारमैया खुद को पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर पेश करते रहे, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलता रहा है। वह पहले भी मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके अलावा दो बार उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
डीके शिवकुमार पर कई आपराधिक मुकदमे:
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शिवकुमार ने हालिया चुनाव के लिए दायर हलफनामे में खुलासा किया है कि उनके खिलाफ 19 आपराधिक मुकदमे लंबित हैं। 19 मामलों में से 10 उनके और कांग्रेस पार्टी द्वारा किए गए विरोध मार्च से संबंधित हैं। चार मामले कथित आयकर चोरी से संबंधित हैं,जबकि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम के तहत दो मामले दर्ज किए गए हैं। एक मामला कथित रिश्वतखोरी से संबंधित है और एक मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो और लोकायुक्त द्वारा दायर किया गया है जो कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति से संबंधित है।
हाल के वर्षों में डीके पर कसा है जांच एजेंसियों का शिकंजा:
साल 2017 में आयकर विभाग ने डीके शिवकुमार के ठिकानों पर छापा मारा था। जांच एजेंसियों के दावे के मुताबिक, नई दिल्ली में चार परिसरों में छापे के दौरान 8.5 करोड़ रुपये जब्त किए गए थे, जो डीके से जुड़े थे। छापों में आयकर विभाग को दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव में खरीदे गए तीन फ्लैट के कागजात भी मिले थे, जो कथित तौर पर शिवकुमार से जुड़े थे। छापों के बाद आयकर विभाग ने 429 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब संपत्ति का दावा किया था।
शिवकुमार पर पहले से टेढ़ी ईडी की नजरें:
बता दें कि डीके शिवकुमार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजरें पहले से ही टेढ़ी हैं। ईडी उनके खिलाफ 800 करोड़ रुपये की बेहिसाब संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। शिवकुमार द्वारा हलफनामे में दी गई सूचना के मुताबिक 19 में से 13 मामले पिछले तीन सालों में 2020 से 2023 के बीच दर्ज किए गए हैं, जबकि एक मामला 2012 से लंबित है। विरोध के मामलों में छह मुकदमे मेकेदातु पदयात्रा और 2020 के कर्नाटक महामारी रोग अधिनियम के संबंध में दायर किए गए थे।