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इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस लिस्ट में थे सबसे सीनियर, जानें- कॉलेजियम ने क्यों नहीं बनाया SC जज?

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 नई दिल्ली

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने मंगलवार को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश केंद्र सरकार से की है। इस प्रक्रिया में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर पीछे रह गए, जबकि वरिष्ठता सूची में वह जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा से आगे थे। ये दोनों जज मूल रूप से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में नियुक्त किए गए थे।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कॉलेजियम ने अपनी सिफारिश में कहा है, "भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वर्तमान संरचना में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कॉलेजियम इस तथ्य से अवगत है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश मूल रूप से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट से आते हैं और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा से वरिष्ठ हैं। इसके बावजूद, सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के बाद, कॉलेजियम का विचार है कि जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के योग्य हैं।”

कॉलेजियम ने इस बारे में और कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी है। हालाँकि, प्रस्ताव से पता चलता है कि कॉलेजियम ने जजों का चयन करते समय जिन कारकों को मद्देनजर रखा, उनमें मुख्य न्यायाधीशों की वरिष्ठता और उनके मूल उच्च न्यायालयों के वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ-साथ उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की समग्र वरिष्ठता एवं योग्यता और विचाराधीन न्यायाधीशों का प्रदर्शन और उनकी सत्यनिष्ठा प्रमुख थे।

इसके अलावा, कॉलेजियम ने जज का चयन करने में सर्वोच्च न्यायालय में विविधता और समावेशी सोच भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर गौर किया। इसके तहत कम प्रतिनिधित्व या प्रतिनिधित्व से वंचित रहे हाई कोर्ट को अहमियत देना, समाज के सीमांत और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों की उम्मीदवारी पर गौर करना, लैंगिक विविधता और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व भी शामिल रहा।

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस संजीव खन्ना के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने मंगलवार को अपने फैसले की घोषणा की।  प्रस्ताव में खुलासा किया गया है कि न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने तेरह वर्षों से अधिक समय तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में क्रम संख्या 21 पर हैं।

प्रस्ताव में कहा गया है, “छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने लगभग बारह वर्षों के कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने कानून के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त किए हैं। उनके निर्णय कानून और न्याय से संबंधित व्यापक मुद्दों को कवर करते हैं।" कॉलेजियम ने यह भी कहा कि न्यायमूर्ति मिश्रा की नियुक्ति से न केवल छत्तीसगढ़ राज्य को प्रतिनिधित्व मिलेगा, बल्कि उनके अर्जित ज्ञान और अनुभव सुप्रीम कोर्ट में मूल्यवर्धन भी प्रदान करेगा। कॉलेजियम ने यह भी कहा,"जस्टिस मिश्रा ईमानदार जज हैं।"