बिहार
बिहार के मुजफ्फरपुर में बस से जब्त हुई 172 कार्टन शराब मामले में बिहार पुलिस का एक बड़ा खेल सामने आया है। कांटी थाने में दर्ज केस में सीतामढ़ी के दारोगा रामेश्वर उरांव को नामजद किया गया है, जबकि छापेमारी रामप्रवेश उरांव की गिरफ्तारी के लिए चल रही है। सीतामढ़ी एसपी मनोज कुमार ने रामप्रवेश उरांव को निलंबित किया है। नाम में गलती के सुधार के लिए पुलिस को कोर्ट में अलग से प्रतिवेदन देना होगा अन्यथा इसका लाभ आरोपित दारोगा को मिलेगा।
बिहार में पूर्ण शराबबंदी है। इसे लागू करने के लिए सरकार और प्रशासन अपनी प्रतिबद्धता का बखान करते नहीं थकते। पर पुलिस वाले ही यह का कर रहे हैं। तंत्र इतना मजबूत है कि फंस जाने पर बचाने के लिए बड़ा बड़ा गेम कर दिया जाता है। कानूनी पेंच का लाभ अभियुक्त को दिलाने के लिए एफआईआर में ही तैयारी कर ली जाती है। मुजफ्फरपुर के मामले में ऐसा कारनामा उजागर हुआ है। शराब धंधे में लिप्त दारोगा को बचाने के लिए एफआईआर में दांव पेच रच दिया गया।
मुजफ्फरपुर में पिछले दिननों शराब लदी बस को मुक्त कराने के लिए सीतामढ़ी के दारोगा जीतेंद्र सुमन के साथ नगर थाने में पोस्टेड जेएसआई रामप्रवेश उरांव चोरी चुपके सदातपुर मोड़ पर पहुंचा था। लेकिन, पकड़े जाने पर एफआईआर में उसे बचाने के लिए गलत नाम रामेश्वर उरांव लिख दिया गया। वहीं जीतेंद्र सुमन को बचाने के लिए उसे शराब लदी बस की सूचना देने वाला बता दिया गया है। नियमत सूचना देने वाला उस प्राथमिकी में नामजद आरोपित नहीं बनेगा। आरोपी दारोगा इसका लाभ दिलाने के लिए बिहार पुलिस के पदाधिकारियों ने यह उपाय निकाला।
कांटी पुलिस ने मामले में कांड के आरोपित शराब धंधेबाज अनिल महतो, सकिंदर कुमार और फरार चल रहे दोनों नामजद दारोगा के मोबाइल का कॉल डिटेल और कैफे लेने के लिए आवेदन दिया है। यदि जीतेंद्र सुमन और रामेश्वर उरांव का मोबाइल सिम किसी दूसरे के नाम पर निकला तो इसका भी लाभ दोनों को मिलेगा।
इस मामले में सीतामढ़ी के एसपी मनोज कुमार ने कहा है कि आरोपियों को नहीं छोड़ा जाएगा। मुजफ्फरपुर के कांटी मामले में दारोगा रामप्रवेश उरांव और जीतेंद्र सुमन की संलिप्तता बताई गई है। इसलिए दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। दोनों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। शराब जब्ती मामले में छानबीन व अन्य कार्रवाई मुजफ्फरपुर पुलिस कर रही है।