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‘बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था’, मरीज़ों को सरकारी की बजाय निजी अस्पताल का करना पड़ रहा रुख

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पटना

SKMCH के हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि वक्त पर वार्डों में स्वास्थ्यकर्मी नज़र ही नहीं आते हैं। मरीज के तीमारदार उन्हें ढूंढने के लिए इधर उधर भटकते नज़र आते हैं। इन सब परेशानियों को देखते हुए मरीज़ के परीजन बिचौलिए के कहने पर निजी अस्पताल का रुख कर ले रहे हैं।

यह हाल सिर्फ़ SKMCH का नहीं बल्कि प्रदेश के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों का है। आपको बता दें कि बीते 29 अप्रैल को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अचानक अचानक एसकेएमसीएच पहुंचे थे। उन्होंने वहां ज्यादातर वार्डों में स्वास्थ्यकर्मियों को नदारद पाया।

वहां आपातकाल के लिए सीनियर डॉक्टर भी मौजूद तक नहीं थे। वहां के हालातों का जायजा लेते हुए तेजस्वी यादव ने सुधार करने निर्देश दिए थे। इस बाबत पटना में बैठक भी हुई थी। वहीं शानिवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने भी अस्पताल का जायज़ा लिया था।

SKMCH में हालातों का जायज़ा लेने के लिए अधिकारियों का दौरा होता रहा लेकिन हालात में सुधार अभी भी नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत के अस्पताल से जाने के बाद फिर से वहीं नज़ारा दिखा। ज्यादातर वार्ड में स्वास्थकर्मी नदारद थे। एक नर्स के भरोसे 12 वार्ड है।

मेडिसिन वार्ड में एक नर्स और जीएनएम छात्रा नज़र आती है। वहीं इमरजेंसी में इंटर्न डॉक्टर सेवा देते नज़र आ रहे हैं। वहीं सर्जरी और मेडिसिन आईसीयू. सीसीयू में डॉक्टर नदारद ही रहते हैं। SKMCH में मरीज़ों के आंकड़ों की बात की जाए तो ओपीडी और एमसीएच में रोज़ाना हज़ारों मरीज़ होते हैं, कई मरीज़ के हालात भी नाजुक होते हैं। मरीज़ के तीमारदारों की मानें तो 10 बजे रात के बाद नर्स चली जाती हैं। ज़रूरत पड़ने पर कॉल कर बुला लेने की बात कहती हैं।