Home हेल्थ वयस्कों के टीकाकरण को देना होगा बढ़ावा

वयस्कों के टीकाकरण को देना होगा बढ़ावा

4

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्दीएजिंग को परिभाषित करते हुए कहा है कि इस तरह की फंक्शनल एबिलिटी को डेवलप और मैंटेन करना, जिससे बड़ी उम्र में भी बेहतर जीवन सुनिश्चित हो सके। डब्ल्यूएचओ ने अपनी ‘डेकेड आॅफ हेल्दीएजिंग- बेसलाइन रिपोर्ट-2020’ में हेल्दी एजिंग के लिए वयस्कों के टीकाकरण को महत्वपूर्ण रणनीतियों में शुमार किया है।

निदान मेडिकेयर के इंटर्नल मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. राजीव मदान ने कहा हम सभी लंबी उम्र जीना चाहते हैं और बुढ़ापे में भी स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं, हालांकि हमारे शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली 50 साल की उम्र के बाद से कमजोर होने लगती है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, शिंगल्स, इन्फ्लूएंजा और न्यूमोनिया से जैसे संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा बढ़ता जाता है। इन संक्रमणों से हमारी दैनिक गतिविधियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, हर महीने मेरे पास 50 साल या इससे ज्यादा उम्र के 20-25 सिंगल्स के मरीज आते हैं। वे सिंगल्स के कारण होने वाले बेतहाशा दर्द और इससे उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताते हैं। इसीलिए बुजुर्गों को इस तरह के संक्रमणों से अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होती है, जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मदद मिले। टीकाकरण उन्हें यह सुरक्षा दे सकता है और उन्हें स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकता है। भारतीय आबादी की उम्र तेजी से बढ़ रही है।

2020 में 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या 26 करोड़ थी, जो 2036 तक 40.4 करोड़ पर पहुंच जाने का अनुमान है जो उस समय की कुल अनुमानित जनसंख्या के 27 प्रतिशत के बराबर होगी। बढ़ती उम्र के साथ शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति कमजोर होती है, जिससे बड़ी उम्र के लोगों में न्यूमोनिया, इन्फ्लूएंजा और शिंगल्स जैसे संक्रमणों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। शिंगल्स एक वायरल बीमारी है, जो बड़ी उम्र के लोगों की जिंदगी को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।  इस बीमारी के कारण बहुत दर्दनाक रैश हो जाते हैं। सिंगल्स के कारण होने वाले दर्द की तुलना प्रसव पीड़ा से की जाती है। कई लोगों में रैश ठीक हो जाने के बाद भी नर्व पेन बना रहता है और इससे उनके लिए दैनिक गतिविधियां मुश्किल हो जाती हैं।