कर्नाटक
कर्नाटक की सियासत में लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय का दबदबा है। दोनों समुदायों का मत हासिल करने के लिए सभी दलों में रस्साकसी चल रही है। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। दोनों समुदायों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधार आंदोलन के चलते हुआ था।
लिंगायत के बारे में जानें
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय का इतिहास 12वीं शताब्दी से शुरू होता है। 1956 में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ। इसके साथ ही कन्नड़ भाषी राज्य मैसूर अस्तित्व में आया। जिसे बाद में कर्नाटक कहा गया। राज्य के गठन से ही यहां लिंगायत समुदाय का दबदबा रहा है।
लिंगायत के बड़े नेता
बीएस येदियुरप्पा, बसवराज बोम्मई, जगदीश शेट्टार, एचडी थम्मैया और केएस किरण कुमार आदि बड़े नेताओं में शुमार
मांग
लिंगायत समुदाय के लोग खुद के अलग धर्म की मांग कर रहे हैं। चुनाव में भी इसको लेकर खूब चर्चा है। कर्नाटक में 500 से अधिक मठ हैं। अधिकांश लिंगायत मठ। उसके बाद वोक्कालिगा मठ। राज्य में लिंगायत मठ बहुत शक्तिशाली।
वोक्कालिगा समुदाय को समझें
1973 में मैसूर को कर्नाटक नाम मिला। वोक्कालिगा से ताल्लुक रखने वाले एचडी देवेगौड़ा प्रधानमंत्री रह चुके हैं। पुराने मैसूरु क्षेत्र में रामनगर, मांड्या, मैसूरु, चामराजनगर, कोडागु, कोलार, तुमकुरु और हासन जिले ऐसे हैं, जहां समुदाय के वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इस क्षेत्र में 58 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो 224 सदस्यीय सदन में कुल सीटों की संख्या के एक-चौथाई से अधिक है। वर्तमान विधानसभा में इस क्षेत्र की 24 सीटों पर जनता दल (एस), 18 पर कांग्रेस और 15 पर भाजपा के विधायक हैं।
वोक्कालिगा समुदाय की कितनी है ताकत?
1973 में मैसूर को कर्नाटक नाम मिला। तब से अब तक 17 मुख्यमंत्रियों में से सात वोक्कालिगा समुदाय से थे।
वोक्कालिगा के प्रमुख नेता
के चेंगलराय रेड्डी, केंगल हनुमंथैया और राज्य के पहले तीन मुख्यमंत्री कदीदल मंजप्पा वोक्कालिगा समुदाय से थे। वोक्कालिगा से ताल्लुक रखने वाले एचडी देवेगौड़ा कर्नाटक के पहले व्यक्ति बने, जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला।
प्रभाव वाले प्रमुख जिले
पुराने मैसूरु क्षेत्र में रामनगर, मांड्या, मैसूरु, चामराजनगर, कोडागु, कोलार, तुमकुरु और हासन जिले में इस समुदाय के मतदाता सबसे ज्यादा हैं। इन क्षेत्रों में 58 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो 224 सदस्यीय सदन में कुल सीटों की संख्या के एक-चौथाई से अधिक हैं। वर्तमान विधानसभा में इस क्षेत्र की 24 सीटों पर जनता दल (एस), 18 पर कांग्रेस और 15 पर भाजपा के विधायक हैं।
वोक्कालिगा का प्रभाव बेंगलुरु शहरी जिले में 28 निर्वाचन क्षेत्रों, बेंगलुरु ग्रामीण जिले (चार निर्वाचन क्षेत्रों) और चिक्काबल्लापुरा (आठ निर्वाचन क्षेत्रों) पर भी है। अनेकल को छोड़कर बेंगलुरु शहरी जिले के 28 विधानसभा क्षेत्रों में से सभी 27 में वोक्कालिगाओं का दबदबा
वोक्कालिगा समुदाय में सबसे ज्यादा पकड़ जद (एस) की है। हालांकि, कांग्रेस भी कड़ी टक्कर देती है। लेकिन इस बार, भाजपा ने भी वोक्कालिगी वोट के लिए पूरी ताकत लगा दी है। हाल ही में वोक्कालिगाओं के लिए आरक्षण चार प्रतिशत से बढ़कर छह प्रतिशत हो गया है। इसकी वोक्कालिगा समुदाय के श्रद्धेय द्रष्टा, आदिचुंचनगिरी मठ के पुजारी स्वामी निर्मलानंदनाथ प्रशंसा की।
यही नहीं, भाजपा ने बेंगलुरू के संस्थापक और विजयनगर राजवंश के 16 वीं शताब्दी के प्रमुख नाडा प्रभु केम्पे गौड़ा की 108 फुट ऊंची प्रतिमा का निर्माण भी कराया, जो बेंगलुरू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास है।
इस बार चुनाव में भाजपा अकेले दम पर मैदान में है। वहीं, जेडीएस ने बीआरएस से गठबंधन कर लिया है। पिछले चुनाव के बाद कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन सरकार बनी थी, लेकिन ये दोनों ही पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं। राज्य में आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम, बसपा भी अकेले ही चुनावी रण में उतर रही हैं।
कर्नाटक की जनसंख्या
कुल जनसंख्या 6.11 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार)
हिंदू – 5.13 करोड़ (84 फीसदी)
मुस्लिम – 79 लाख (12.91 फीसदी)
ईसाई – 11 लाख (1.87 फीसदी)
जैन – 4 लाख (0.72 फीसदी)
लिंगायत की आबादी- करीब 17 फीसदी
वोक्कालिगा की जनसंख्या – करीब 14 फीसदी
कुरुबा जाति – 8 फीसदी
एससी – 17 फीसदी
एसटी- 7 फीसदी