उज्जैन
विक्रम विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित पीएचडी प्रवेश परीक्षा-2024 की अधिसूचना जारी कर दी। अधिसूचना के मुताबिक 434 सीटों पर दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा 30 जून को आनलाइन कम्प्यूटर के माध्यम से होगी। परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए एमपी आनलाइन के माध्यम से आवेदन 1 से 18 जून तक जमा किए जा सकेंगे।
मालूम हो कि पीएचडी प्रवेश देने के पात्र युवाओं को लंबे समय से इस परीक्षा की अधिसूचना का इंतजार था। अंतिम बार विश्वविद्यालय ने परीक्षा दो वर्ष 6 मार्च 2022 को 422 सीटों के लिए कराई थी। तब परीक्षा ओएमआर शीट पर ली गई थी। मूल्यांकन मशीन की बजाय मैनुअली कराया गया था। परिणाम घोषित होने के कुछ सप्ताह बाद इंजीनियरिंग विषय की परीक्षा में उत्तीर्ण 12 विद्यार्थियों की ओएमआर आंसर शीट मीडिया तक पहुंचाई गई थीं।
इन ओएमआर आंसर शीट में कांट-छांट थी, जिसमें अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण दर्शाया गया था। मामला उजागर होने पर कांग्रेस एवं एनएसयूआइ के नेताओं ने विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया। उज्जैन लोकायुक्त पुलिस को शिकायत की।
शिकायत पर जांच उपरांत लोकायुक्त पुलिस ने 21 जून 2023 को विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक, सहायक कुलसचिव वीरेन्द्र उचवारे, प्रोफेसर गणपत सिंह अहिरवार, पीके वर्मा और वायएस ठाकुर के खिलाफ भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, ओएमआर शीट में छेड़छाड़ करने जैसी धाराओं में प्रकरण दर्ज किया।
बाद में लोकायुक्त ने आरोपितों की संख्या तीन से बढ़ाकर आठ की। परीक्षा उत्तीर्ण किए गौरव कुमार शर्मा, अमित मरमट और अंशुमा पटेल के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज की। पूरे मामले में एक विद्यार्थी (गौरव कुमार शर्मा) का रोल नंबर 220881 हटाकर फर्जी रोल नंबर 220841 प्रस्ताव में जोड़ दिया गया था।
वहीं, प्रस्ताव में एक रोल नंबर (220042) भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी की पत्नी शिल्पा जोशी का भी था, जिसे गोपनीय बनाए रखने में विश्वविद्यालय ने हर संभव कोशिश की मगर नाम सामने आ ही गया। इसी दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव बदले।
लोकायुक्त ने विश्वविद्यालय से केस की विभागीय जांच रिपोर्ट तलब की। दो बार कुलपति, कुलसचिव को भोपाल तलब किया। वे गए भी मगर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की। प्रकरण अब भी लोकायुक्त में प्रचलन में है। कोर्ट में चालान प्रस्तुत अब तक न हो सका है।