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1.67 लाख फ्लैट खरीदारों को राहत, NCR के बिल्डर्स को प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए मिलेंगे तीन और साल

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नईदिल्ली

अधूरे पड़े प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए बिल्डरों को निशुल्क तीन साल का और समय देने की तैयारी है। जीरो पीरियड के साथ ही, पूरी परियोजना की लीज डीड निरस्त करने के बजाय आंशिक निरस्तीकरण करने का भी विचार है। बिल्डर और खरीदारों का मसला हल करने के लिए बनी अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लेकर प्राधिकरण के अफसरों ने लखनऊ में प्रस्तुतिकरण दिया।

दिल्ली-एनसीआर में बिल्डर और खरीदारों मसले को लेकर धरने-प्रदर्शन होते रहते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र सरकार ने अमिताभ कांत समिति गठित की थी। इसको लेकर समिति ने कई सिफारिशें की हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण ने इन सिफारिशों को लेकर अपनी-अपनी रिपोर्ट तैयार करवाई। इस रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण पिछले हफ्ते लखनऊ में मुख्य सचिव के समक्ष दिया गया।

बताया गया कि इन सिफारियों को किस तरह से लागू किया जाएगा, किन नीतियों में बदलाव करना होगा, कैसे बकाया वसूला जाएगा और किस तरह से रजिस्ट्री होगी, बैठक में अधिकतर सिफारिशों पर सहमित बन गई। अब इनको लागू करने की तैयारी है। सिफारिशों के लागू होने से करीब 1.67 लाख फ्लैट खरीदारों को राहत मिलेगी।

बिल्डरों पर ब्याज का बोझ कम होगा

बिल्डरों की परियोजनाएं अधूरी हैं। इनको पूरा करने में अभी और समय लगेगा। तीनों प्राधिकरण बिल्डरों को तीन साल का और समय देने के लिए तैयार हैं। इसके बदले कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। नियमों के अनुसार, अगर बिल्डर तय समय पर परियोजना को पूरा नहीं करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है। बिल्डरों पर ब्याज का बोझ कम होगा। बकाया की गणना जून 2020 के बाद एसबीआई की एमसीएलआर दर से की जाएगी। इसके अलावा बिल्डर अपने लिए को-डेवलपर खुद ला सकता है। इसके लिए प्राधिकरण की मंजूरी जरूरी नहीं होगी।

रजिस्ट्री कराने के फार्मूले पर भी चर्चा

कब्जा पा चुके खरीदारों रजिस्ट्री कराने पर भी चर्चा की गई। इसके लिए परियोजना में जितने टावर या उनके फ्लैट पूरे हो गए हैं, उतने हिस्से की ही सीसी (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) जारी करने की तैयारी है। इसके अलावा यमुना प्राधिकरण में आवंटी अपने हिस्से की प्राधिकरण की बकाया राशि और बिल्डर की एनओसी लाकर रजिस्ट्री करा सकता है। यह फार्मूला भी अन्य प्राधिकरण में लागू करने की तैयारी है।

मोर्टगेज सशर्त मिलेगा

परियोजनाओं को पूरा करने के लिए बिल्डरों को धन ही जरूरत होगी। इसके लिए बिल्डरों को मोर्टगेज सर्टिफिकेट देने पर सहमति बनी है। शर्त यह होगी कि उसमें से प्राधिकरण का बकाया जमा करना होगा। लाभ लेने के लिए बिल्डरों को बकाये का 25 धन जमा करना होगा। बाकी पैसा अगले तीन साल में साधारण ब्याज दर के साथ देना होगा। इसके लिए एस्क्रो अकाउंट भी खोला जा सकता है ताकि पैसों को लेकर पारदर्शिता बनी रहे।

खरीदार से अतिरिक्त राशि नहीं ले सकेंगे

प्राधिकरण जीरो पीरियड देने पर भी सहमत हो सकते हैं। कोविड महामारी के दौरान दो साल और एनजीटी के स्थागनादेश 2015 से 2017 की अवधि का जीरो पीरियड बिल्डरों को मिल सकता है। इस दौरान किसी तरह का ब्याज और जुर्माना नहीं लगेगा। इससे उन्हें काफी राहत मिलेगी। साथ ही, बिल्डर किसी खरीदार से जुर्माना, अतिरिक्त कीमत या ब्याज नहीं वसूल पाएंगे।

परियोजना सरेंडर करने का भी विकल्प

बकाया होने पर अभी प्राधिकरण पूरी परियोजना की लीज डीड रद्द करते हैं। अब इसमें बदलाव होगा। मान लीजिए किसी बिल्डर ने दो तिहाई परियोजना पूरी कर ली है तो बची हुई एक तिहाई परियोजना की ही लीज डीड रद्द होगी। इसके अलावा अगर अधूरी परियोजना को बिल्डर सरेंडर करना चाहे तो वह भी विकल्प मिलेगा। इसके लिए नीतियों में संशोधन होगा।