जयपुर
राजस्थान की सियासत में देवी सिंह भाटी ऐसा नाम है, जिनकी राजनीतिक पहुंच और जनता पर पकड़, दोनों अद्भुत है। 1980 में राजनीति में आए देवी सिंह कोलायत विधानसभा सीट से लगातार 7 बार विधायक बने। पहले वे जनता पार्टी के बैनरतले चुनाव लड़े और बाद में बीजेपी का गठन होने पर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते थे। एक बार उन्होंने सामाजिक न्याय मंच पार्टी के बैनरतले भी चुनाव लड़ा और जीतने में कामयाब रहे। वे भैरो सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के शासन के दौरान मंत्री भी रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में वे कांग्रेस के भंवर सिंह भाटी से महज 1134 मतों से हार गए थे। जनहित के कामकाज के लिए अक्सर वे अफसरों से भिड़ जाया करते थे।
अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ किया प्रचार
बीजेपी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पहली बार अर्जुन राम मेघवाल को टिकट दिया, तो देवी सिंह भाटी ने विरोध किया। टिकट नहीं बदला तो भाटी ने नाराज होकर पार्टी छोड़ दी और अर्जुन राम मेघवाल के खिलाफ प्रचार किया। हालांकि अर्जुन राम मेघवाल चुनाव जीते। बीजेपी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर अर्जुन राम मेघवाल को टिकट दिया। मेघवाल चुनाव जीते और मोदी सरकार में मंत्री भी बने। अब भाटी की एक बार फिर से बीजेपी में घर वापसी हुई है।
वसुंधरा राजे से पहले नाराजगी थी, बाद में करीबी बने
बीकानेर के दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी तीन बार मंत्री भी रहे। जाटों को आरक्षण दिए जाने के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण दिलाने के लिए 2003 में उन्होंने सामाजिक न्याय मंच बनाया। इसी मंच के बैनरतले चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। पहले वसुंधरा राजे से उनके मतभेद रहे लेकिन बाद में वे राजे के करीबी हो गए। देवी सिंह भाटी अर्जुन राम मेघवाल के विरोधी रहे हैं। भाटी और मेघवाल में कई बार तकरार भी हो चुकी है।
राजे की सभा में होना था पार्टी में शामिल
पिछले साल वसुंधरा राजे ने देव दर्शन यात्रा निकाली थी। इस दौरान वे बीकानेर भी गई थी। बीकानेर में हुई वसुंधरा राजे की सभा की पूरी तैयारी देवी सिंह भाटी ने ही की थी। एक बार तो स्वयं भाटी ने यह ऐलान भी कर दिया कि वे बीजेपी में शामिल होने वाले हैं लेकिन बाद में वे पार्टी में शामिल नहीं हुए। बताया जाता है कि देवी सिंह भाटी का वसुंधरा राजे की सभा में पार्टी में शामिल होना बीजेपी नेतृत्व को मंजूर नहीं था। लिहाजा उनका आना टल गया। अब वे जयपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए। इस दौरान वसुंधरा राजे मौजूद नहीं थी।
1980 से लगातार बने विधायक
वर्ष 1980 में देवी सिंह भाटी पहली बार जनता दल के बैनरतले विधायक बने। इसके बाद 1985 और 1990 में भी जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते। वर्ष 1993 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 20,727 वोटों से जीत हासिल की। 1998 और 2008 के विधानसभा चुनावों में वे बीजेपी के टिकट पर ही विधायक बने थे लेकिन 2003 के चुनाव में उन्होंने सामाजिक न्याय मंच के बैनरतले चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनावों में वे कांग्रेस प्रत्याशी भंवर सिंह भाटी से चुनाव हार गए।