मुजफ्फरपुर
कृषि विभाग में प्रखंड तकनीकी प्रबंधक (बीटीएम), सहायक तकनीकी प्रबंधक (एटीएम) और अकाउंटेंट के पदों पर बहाली में फर्जी दस्तावेज का बड़ा खेल होने की आशंका है। मुजफ्फरपुर में हुई काउंसिलिंग के दौरान चार अभ्यर्थियों के सर्टिफकेट फर्जी पाए गए थे। इसके बाद 80 अन्य अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच संबंधित विश्वविद्यालयों से कराई जा रही है। मुजफ्फरपुर में धरे गए अभ्यर्थियों में से तीन के पास उत्तराखंड के हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय का बैचलर इन एग्रीकल्चर का फर्जी सर्टिफकेट मिला था। पुलिस के हाथ लगे एक अभ्यर्थी ने पूछताछ में बताया कि उसने पटना के एक कोचिंग संचालक से गया में फर्जी दस्तावेज बनवाया था। कृषि विभाग ने इस संबंध में दो एफआईआर कराई। इस बड़े खुलासे के 20 दिन बाद भी सर्टिफिकेट माफिया को दबोचने के लिए पुलिस की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है।
सूबे में प्रखंड बीटीएम, एटीएम और अकाउंटेंट के हजारों पदों पर बहाली होनी है। मेरिट लिस्ट के अनुसार सभी जिलों में बहाली के लिए बीते आठ सितंबर को काउंसिलिंग कराई गई। मुजफ्फरपुर में 38 पदों पर बहाली के लिए 80 अभ्यर्थियों को काउंसिलिंग के लिए बुलाया गया था। इनमें फर्जी सर्टिफिकेट होने के शक पर चार अभ्यर्थियों को रोका गया। इनमें से जहानाबाद के नेर निवासी धर्मेंद्र को गिरफ्तार किया गया। इस बीच अन्य तीन भाग निकले। धर्मेन्द्र ने पूछताछ में बैचलर इन एग्रीकल्चर साइंस का सर्टिफिकेट फर्जी होने की बात लिखित रूप में स्वीकार की। उसने बताया कि गया में एक कोचिंग संचालक से उत्तराखंड के हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय का बैचलर इन एग्रीकल्चर का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था। उसे बहाली के बाद सर्टिफिकेट का पूरा पैसा देना था। फर्जी दस्तावेज बनाने और खरीदने वालों में कई जिलों के लोगों के शामिल होने से इसमें बड़े गिरोह का हाथ होने की आशंका है।
फरार हुए तीन अन्य अभ्यर्थी पूर्वी चंपारण जिले के तुरकौलिया थाना के पिपरिया निवासी अवधेश कुमार यादव, पूर्वी चंपारण के पहाड़पुर थाना के सताही कचहरी टोला निवासी रजनीश कुमार और औरंगाबाद जिले के वरुण थाना के काजीचक निवासी अंबुज कुमार अपना फर्जी सर्टिफिकेट छोड़कर काउंसिलिंग से भागे थे। पुलिस ने एफआईआर में इनका जिक्र होने के बावजूद अब तक इनकी गिरफ्तारी का भी कोई प्रयास नहीं किया है। आत्मा के उप परियोजना निदेशक विनोद कुमार सिंह ने इन तीनों पर अलग से एफआईआर दर्ज कराई थी। दोनों कांडों में जांच के लिए नगर थाने के एसआई अमर राज को आईओ बनाया गया। अब तक एफआईआर से आगे पुलिस की छानबीन आगे नहीं बढ़ी है।
उप परियोजना निदेशक आत्मा विनोद कुमार सिंह ने कहा है कि चार अभ्यर्थियों का सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया था। इसके बाद सभी 80 अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच कराई जा रही है। शीघ्र ही फाइनल रिजल्ट जारी किया जाएगा। फर्जी सर्टिफिकेट मिलने पर नगर थाने में केस दर्ज कराया गया है। इसमें पुलिस को आगे की कार्रवाई करनी है।
सिटी एसपी अरिवंद प्रताप सिंह ने कहा, "कांड की समीक्षा की जाएगी। फर्जी सर्टिफिकेट कहां से और कैसे बनाए गए, इसके पीछे और कौन लोग हैं, सभी को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी।"