नई दिल्ली
जब बात छात्र राजनीति की आती है तो लोग अकसर जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय का नाम लेते हैं। लेकिन पंजाब की छात्र राजनीति में कुछ ऐसा हुआ कि आज यह दो देशों के बीच तनाव की वजह बनता जा रहा है। खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया। इसी बीच कनाडा के विनिपेग में कुछ लोग गैंगस्टर और खालिस्तानी आतंकी सुखा दुनेके के फ्लैट में प्रवेश करते हैं और उसे गोलियों से भून देते हैं। दुनेके ही हत्या के तत्काल बाद भारत की जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने हत्या की जिम्मेदारी ले ली। बिश्नोई ने कहा कि उसने दुनेके से गुरलाल बरार की हत्या का बदला लिया है।
अब सवाल है कि गुरलाल बरार कौन है। गुरलाल बरार कनाडा में बैठे गोल्डी बरार का छोटा भाई था जिसकी हत्या कर दी गई थी। वह स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी (SOPU) का स्टेट प्रेसिडेंट रह चुका है। लॉरेंस बिश्नोई और दविंदर बांबिहा गैंग में दुश्मनी की वजह से साल 2020 में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली एनसीआर में कई हत्याएं हुईं।
कनाडा भाग गए गैंगस्टर
जब बिश्नोई का कैंडिडेट पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूटेंड यूनियन का चुनाव हार गया तो दोनों गुटों में दुश्मनी बढ़ गई। इसके बाद गैंगवॉर शुरू हो गया। भारत में जब शिकंजा कसा गया तो दोनों ही गैंग के अपराधी कनाडा भाग गए। बता दें कि कनाडा खालिस्तानी आतंकियों के लिए सेफ जोन बना हुआ है। कनाडा से बैठकर भी ये अपराधी भारत में हत्याएं करवाने लगे और उगाही करने लगे। इन गैंगों के लिए पंजाब, हरियाणा. राजस्थान और एनसीआर इस समय वॉर जोन बना हुआ है।
पंजाब में हुई दुश्मनी और हत्याएं आज कनाडा में भी गैंगवॉर का रूप ले चुकी हैं। हत्या में शामिल लोग या फिर मारे जाने वाले लोगों का संबंध अकसर बिश्नोई या फिर बांबिहा गैंग से पाया जाता है। बता दें कि लॉरेंस बिश्नोई ने साल 2010 में डीएवी कॉलेज से स्टूडेंट पॉलिटिक्स में कदम रखा था। 2011 में अकाली नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ विकी मिदूखेड़ा की उपस्थिति में बिश्नोई को कॉलेज का एसओपीयू चीफ बना दिया गया।
छात्र राजनीति में ही बिश्नोई ने जीतने के लिए गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फजिल्का की मदद ली। यही बात ना केवल बिश्नोई के जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गई बल्कि पंजाब की स्टूडेंट पॉलिटिक्स गैंगवॉर में बदल गई। अगल 6 साल में ही बिश्नोई के खिलाफ करीब 36 केस दर्ज किए गए। बिश्नोई के बाद उसका दोस्त संपत नाहरा एसओपीयू का अध्यक्ष बन गया जो आज तक विश्नोई का करीबा माना जाता है।
बिश्नोई का जब गुरलाल बरार से संपर्क हुआ तो उसने बरार को सपोर्ट किया। 2016 में बरार एसओपीयू का अध्यक्ष चुना गया। बिश्नोई की ये जीत बांबिहा गैंग को नहीं पच रही थी। ऐसे में दोनों गैंग में दुश्मनी बढ़ती चली गई। 2017 में बांबिहा गैंग के गुर्गे लवी देओरा की फरीदकोट में बिश्नोई गैंग ने हत्या करवा दी। इसके तीन साल बाद ही चंडीगढ़ के एक नाइटक्लब के बाहर गुरलाल बरार की हत्या हो गई। बरार की हत्या के बाद बांबिहा गैंग ने बिश्नोई के करीबी विकी मिदुखेरा पर भी हमला करवाया और हत्या करवा दी। बरार की हत्या को तीन साल हो चुके हैं। बिश्नोई गैंग का कहना है कि सुक्खा की हत्या बरार का बदला लेने के लिए करवाई गई है। एजेंसियों का कहना है कि अभी भारत और कानाडा में कई और हत्याएं हो सकती हैं।