Home देश चीन के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं: राजनाथ सिंह

चीन के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं: राजनाथ सिंह

3

नई दिल्ली
 संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पर बहस जारी है। जहां लोकसभा में गुरुवार को पीएम मोदी ने इसके लिए सभी सांसदों को धन्यवाद दिया, तो वहीं राजनाथ सिंह ने भी विपक्ष के सहयोग की तारीफ की। हालांकि, इस बीच एक मौका ऐसा भी आया, जब आमतौर पर शांत रहने वाले राजनाथ सिंह अचानक ही अपने वक्तव्य को छोड़कर कांग्रेस को जवाब देने लगे। यह मामला था चीन से जुड़े एक सवाल का, जिस पर कांग्रेस ने बार-बार रक्षा मंत्री के भाषण को बाधित करने की कोशिश की। इसके बाद राजनाथ ने अपने जवाब से विपक्ष की बोलती बंद कर दी।  

लोकसभा में जिस वक्त राजनाथ सिंह महिला आरक्षण विधेयक को लेकर सांसदों को धन्यवाद दे रहे थे, उसी दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें कई बार बाधित करने की कोशिश की। अधीर रंजन ने राजनाथ से चीन पर सवाल करने की कोशिश की। एक-दो मौकों पर राजनाथ ने उन्हें टाला।

हालांकि, जब अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि क्या सरकार के पास लद्दाख में चीन से टकराव के मुद्दे पर चर्चा की हिम्मत है, तो राजनाथ बिफर गए। उन्होंने कहा, "पूरी हिम्मत है…" राजनाथ ने यह कई बार दोहराया भी। इसके बावजूद जब अधीर रंजन नहीं रुके, तो राजनाथ ने कहा, "अधीर रंजन जी इतिहास में मत जाओ। चर्चा चीन पर भी होगी।"

इसके बाद अधीर रंजन ने कहा कि सरकार ने आश्वसान दिया था कि चीन पर चर्चा होगी, लेकिन आपने वादा पूरा नहीं किया। इस पर राजनाथ ने कहा, "हमने सुन ली आपकी बात, अब हमारी भी सुन लो। रक्षा मंत्री ने कहा कि मैं चर्चा को तैयार हूं और सीना चौड़ा कर के चर्चा के लिए तैयार हूं।"

'भारत की संस्कृति को विज्ञान विरोधी कहने वालों को कुछ मालूम नहीं'
राजनाथ सिंह ने ‘चंद्रयान-3’ की सफलता के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), वैज्ञानिकों और देशावासियों को बधाई दी और कहा कि संस्कृति एवं विज्ञान एक दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं तथा भारत की संस्कृति को विज्ञान विरोधी कहने वालों को कुछ मालूम नहीं है। उन्होंने लोकसभा में ‘चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारे राष्ट्र की उपलब्धियों के बारे में चर्चा’ मे हस्तक्षेप करते हुए यह भी कहा कि ‘चंद्रयान-3’ की सफलता उन सभी लोगों के लिए गर्व का विषय है जो अपने राष्ट्र और राष्ट्र की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘चंद्रयान-3 की सफलता हमारे लिए निश्चित रूप से एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। क्योंकि एक तरफ दुनिया के अधिकांश विकसित देश हैं, जो हमसे कहीं अधिक संसाधन-संपन्न होते हुए भी, चांद पर पहुंचने के लिए प्रयासरत हैं, तो वहीं दूसरी तरफ हम बेहद सीमित संसाधनों से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले दुनिया के पहले देश बने हैं।’’ रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिक चेतना का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘जब मैं यहां वैज्ञानिक चेतना की बात कर रहा हूं, तो उससे मेरा मतलब केवल कुछ वैज्ञानिक उपकरणों के विकास कर लेने भर से नहीं है। वैज्ञानिक चेतना से मेरा आशय है कि वैज्ञानिकता और तार्किकता हमारी सोच में हो, वह हमारे बात व्यवहार में हो, और वह हमारे स्वभाव में हो।’’ उनका कहना था कि संस्कृति के बगैर विज्ञान, और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है तथा दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।

सिंह ने कहा कि संस्कृति के बगैर विज्ञान और विज्ञान के बगैर संस्कृति अधूरी है, संस्कृति और विज्ञान दोनों एक दूसरे से जुड़ने के बाद ही पूर्णता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों को एक दूसरे का पूरक कहा जा सकता है, क्योंकि दोनों ही मनुष्यता के लिए जरूरी हैं।

उनके मुताबिक, ‘‘कभी कभी कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा जाता है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक चेतना में फर्क है। यह भी कहा जाता है कि वैज्ञानिक चेतना वाले हैं तो आप पीपल की पूजा कैसे कर सकते हैं, गाय की पूजा कैसे कर सकते हैं, मूर्ति पूजा कैसे कर सकते हैं।’’ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘भारत में यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि हमारी संस्कृति विज्ञान की विरोधी है तो मुझे लगता है कि उस व्यक्ति को न तो हमारी संस्कृति का "स" पता है, न ही विज्ञान का ‘व’ मालूम है।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमारी आस्था, हमारी संस्कृति समावेशी है। हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, हमें अखिल मानवता के बंधुत्व का पाठ पढ़ाता है। हम सबने देखा कि काफी कठिन वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, हम जी20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन कर सके, जहां घोषणापत्र पर सर्व सहमति जुटा सके।’’

रक्षा मंत्री ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता कोई अपवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सहस्त्राब्दियों से चली आ रही देश की सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक धारा का सहज विकास है। उन्होंने कहा कि इस सफलता के सूत्र देश के अतीत में ही छिपे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा अतीत, जहां वैज्ञानिकता एक स्वभाव के रूप में विद्यमान थी। जहां विज्ञान और आस्था के बीच एक सामंजस्य था। हालांकि विदेशी आक्रांताओं के चलते, कुछ समय के लिए, थोड़ा पिछड़ापन आ गया था, पर हम एक बार फिर से हुंकार भरते हुए पहले से भी अधिक ताकत के साथ उठ खड़े हुए हैं, और सूरज, चांद, तारे छूने के लिए तैयार हैं।’’ उन्होंने सदन को यह भी बताया कि भारत द्वारा अब तक प्रक्षेपित किए गए 424 विदेशी उपग्रहों में से 389 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पिछले नौ वर्षों में प्रक्षेपित किए गए हैं।