अयोध्या। साल 1528- तब राम मंदिर को ढेर करके यहां बाबरी मस्जिद बना दी गई थी। आजादी के बाद लंबा मुकदमा चला। नौ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। झगड़े की जमीन रामलला की हुई और आज राम काज शुरू हो गया।
मंदिर आंदोलन लालकृष्ण आडवाणी ने चलाया था, लेकिन प्रधानमंत्री होने के नाते मंदिर निर्माण की नींव रखने का मौका नरेंद्र मोदी को मिला। दिन भी अहम है। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा था। 5 अगस्त 2020 को मंदिर निर्माण की शुरूआत हुई है। दोनों भाजपा के वादे थे। 5 अगस्त 2021 को क्या होगा, ये किसी को पता नहीं। शायद मोदी ही बता पाएं।
…तो लौटते हैं अयोध्या की ओर। मोदी बुधवार सुबह यहां पहुंचे। हनुमान गढ़ी में पूजा करने वाले और रामलला के दर्शन करने वाले वे पहले प्रधानमंत्री बन गए। उनसे पहले इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या पहुंचे, लेकिन रामलला के दर्शन नहीं कर पाए थे।
मोदी 29 साल बाद अयोध्या आए। इससे पहले वे 1991 में अयोध्या आए थे। तब भाजपा अध्यक्ष रहे मुरली मनोहर जोशी तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे और यात्रा में मोदी उनके साथ रहते थे। मोदी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त फैजाबाद-अंबेडकर नगर में एक रैली को संबोधित किया था, लेकिन अयोध्या नहीं गए थे।
रामलला को साष्टांग प्रणाम
2000 पवित्र जगहों की मिट्टी, 100 से ज्यादा नदियों का पानी
मोदी के पहुंचते ही पूजन शुरू हुआ। यहां 2000 पवित्र जगहों से लाई गई मिट्टी और 100 से ज्यादा नदियों से लाया गया पानी रखा गया था। 1989 में दुनियाभर से 2 लाख 75 हजार ईंटे जन्मभूमि भेजी गई थीं। इनमें से 9 ईंटों यानी शिलाओं को पूजन में रखा गया। पूजन के बाद मोदी को संकल्प दिलाया गया।
पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र
पूजन सामग्री में बकुल की लकड़ी से बना पात्र था, जिसे शंकु कहते हैं। इस लंबे से पात्र में सोना-चांदी समेत नौ रत्न भरे गए। भूमि पूजन के लिए जमीन में जो गड्ढा किया गया, उसके मूल में इसी बकुल के शंकु को रखा गया।
यह पूजन विधि कांचीपुरम पीठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने बताई थी। इसी के साथ नाग-नागिन का जोड़ा, चांदी की ईंट और पावन जल रखा गया। 32 सेकंड के मुहूर्त में प्रधानमंत्री से पूणार्हुति करवाई गई, जो ह्यकरिष्यामिह्ण कहने के साथ पूरी हुई। पूजन विधि 40 मिनट चली।
175 मेहमानों में 135 संत, सभी को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया
कोरोना की वजह से भूमि पूजन समारोह में सिर्फ 175 लोगों को आमंत्रित किया गया। इनमें देश की कुल 36 आध्यात्मिक परंपराओं के 135 संत शामिल हुए। बाकी कारसेवकों के परिवार और अन्य लोगों को निमंत्रण दिया गया था। भूमि पूजन में शामिल होने वाले हर अतिथि को श्रीराम दरबार का रजत सिक्का दिया गया। सिक्का मंदिर ट्रस्ट ने दिया।
आडवाणी, जोशी, राजनाथ कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भूमि पूजन में शामिल नहीं हुए। वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। आडवाणी ने राम मंदिर आंदोलन की अगुआई की थी और रथ यात्रा निकाली थी। मुरली मनोहर और उमा भी इस आंदोलन के प्रमुख नेता थे।
गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पॉजिटिव हैं, इसलिए वे भी अयोध्या नहीं पहुंचे। उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अयोध्या आने का कार्यक्रम कोरोना के चलते रद्द कर दिया। जब बाबरी ढांचा गिराया गया था, तब कल्याण सिंह ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
योग गुरु बाबा रामदेव, रामभद्राचार्य, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज, मथुरा से मूलक-पीठ के राजेंद्र देवाचार्य, कांची मठ के गोविंद देवा गिरि महाराज, रेवसा डौंडिया के राघवाचार्य, चिदानंद मुनि, सुधीर दहिया कार्यक्रम में उपस्थित रहे।