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दिल्ली सरकार कोरोना के मरीजों की जान बचाने प्लाज्मा तकनीक अपनाएगी

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नई दिल्ली। कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से जिंदगी जंग लड़ रहे मरीजों की जान बचाने के लिए दिल्ली सरकार अब प्लाज्मा तकनीक अपनाने जा रही है। इसके लिए केंद्र की ओर से भी मंजूरी मिल गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को कहा कि गंभीर हालत मरीजों में अगर प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल किया जाए तो उनकी स्थिति में सुधार की गुंजाइश है। कुछ देशों में इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं। केजरीवाल ने बताया कि हमें केंद्र सरकार से इसके ट्रायल की अनुमति मिल गई है। अगले 3-4 दिन के अंदर डॉक्टर इसका ट्रायल करेंगे और देखेंगे कि ये कितना सफल रहता है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना वायरस को पूरी तरह खत्म करने के लिए दिल्ली में 57 के करीब कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं और इन जोन में आपरेशन शील्ड चलाया जा रहा है। दिलशाद गार्डन में 15-20 से एक भी केस नहीं आया, वसुंधरा एंक्लेव और खिचड़ीपुर में भी एक भी नया केस नहीं आया है।
केजरीवाल ने बताया कि मार्च के आखिरी हफ्ते और अप्रैल के पहले हफ्ते में दिल्ली में कोरोना के बहुत सारे मरीज मिले थे, अब वो ठीक होने लगे हैं। आज भी कई मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिलेगी और आने वाले 3-4 दिनों में भी कई मरीजों को छुट्टी दी जाएगी।
दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित गंभीर हालत वाले मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल बेसिस पर प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी दी थी। उपराज्यपाल ने बताया कि मरीजों के इलाज के वक्त सभी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गएSOPs/ दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने की सलाह दी गई है।

कॉनवेलेसेंट प्लाजमा कोरोना वायरस के मरीजों के लिए एक प्रायोगिक प्रक्रिया
दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में कोविड-19 के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल बेसिस पर पहली बार प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि प्लाज्मा तकनीक का क्लीनिकल टेस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बाइलरी साइंसेज (आईएलबीएस) में किया जाएगा। प्लाज्मा तकनीक में कोरोना वायरस के संक्रमण से उबर चुके व्यक्ति के रक्त की एंडीबॉडी का इस्तेमाल, कोविड-19 से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए किया जाता है। प्लाज्मा तकनीक का उद्देश्य कोविड-19 के मरीजों में संक्रमण की वजह से होने वाली समस्याओं को सीमित करने के लिए कॉनवेलेसेंट प्लाज्मा के प्रभाव का आकलन करना है। कॉनवेलेसेंट प्लाजमा कोरोना वायरस के मरीजों के लिए एक प्रायोगिक प्रक्रिया है।
अधिकारी ने बताया कि आईएलबीएस के निदेशक एस के सरीन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक समिति ने कोरोना वायरस के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए इस प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल किए जाने की सलाह दी थी।