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कोरोना लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर असर

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस से प्रभावित गरीबों के बाद सरकार कारोबारी जगत और अर्थव्यवस्था के लिए पैकेज का ऐलान कर सकती है। गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ मंथन किया। माना जा रहा है कि उन्होंने कोरोना वायरस के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और राहत के उपायों पर चर्चा की। मोदी ने वित्त मंत्री सीतारमण के साथ यह चर्चा ऐसे समय की है जबकि कोविड-19 महामारी से पैदा हालात ने छोटे उद्योगों से लेकर विमानन क्षेत्र तक को बहुत हानि पहुंचाई है। इस बीमारी की राकथाम के लिए परिवहन सेवाओं और दूसरे कामकाज पर रोक से लाखों नौकरियां जाने की आशंका है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष समेत कई एजेंसियों ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि का अनुमान काफी कम कर दिया है। सूत्रों के अनुसार बैठक के दौरान अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा हुई। भविष्य की चुनौतियों से पार पाने के लिये कोष जुटाने पर भी गौर किया गया। विश्वबैंक के ताजा अनुमान के अनुसार भारत की वृद्धि दर 2020 में 1.5 से 2.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। इसी प्रकार, आईएमएफ ने जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। महामारी और उसकी रोकथाम के लिये देशव्यापी बंद के कारण एमसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), होटल, नागर विमानन, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। सरकार ने आर्थिक मामलों के सचिव अतनु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया है। समूह को उन उपायों के बारे में सुझाव देने का जिम्मा दिया गया है जो अर्थव्यवस्था को बंद के बाद तेजी से पटरी पर ला सके। इसके अलावा समूह को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ गरीब और दिहाड़ी मजदूरों के लिये राहत और कल्याणकारी उपायों पर काम करने को कहा गया है। गरीबों और जरूरतमंदो की समस्या को कम करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने 1.7 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की। इसमें तीन महीने तक मुफ्त राशन और रसोई गैस और महिलाओं और गरीब वरिष्ठ नागरिकों को नकद सहायता उपलब्ध कराने समेत अन्य बातें शामिल थी। सीतारमण ने जरूरत पड़ने पर इस प्रकार की और घोषणाओं का संकेत दिया था।