रायपुर। अतिथि देवों भव: घाना गणराज्य की पहचान है। पश्चिम अफ्रीका के अंतर्गत आने वाले इस देश में आने वाले अतिथियों की मेहमान नवाजी नृत्य और गीत के साथ कुछ इस पारम्परिक अंदाज में किया जाता है कि यहा आने वाले अतिथि अभिभूत होने के साथ इस देश को हमेशा याद रखते हैं। घाना से आये सीमॉन बोके और कैथ कोलिंग वूड विलियम का कहना है कि वे पहली बार छत्तीसगढ़ आये है और यहां के लोगों की आत्मीयता व स्वागत से बहुत खुश हैं। इस तरह के आयोजन से कृषि उत्पादों को देखने समझने और उसे अपनाने का अवसर मिलता हैं। यहा मोरिंगा (मुनगा) की कई प्रजातियां देखने को मिली। मुनगा में औषधि गुण एवं आयरन की मात्रा अधिक हैं। इसके अलग-अलग किस्मों को अपने देश में उत्पादन कर पाउडर, बिस्किट,चॉकलेट के रूप में तथा अन्य खाद्य पदार्थों के साथ मिश्रण कर जनसामान्य को उपलब्ध कराने की दिशा में हम योजना बना रहे है। यहां के भूरे चावल में भी पौष्टिकता हैं। छत्तीसगढ़ के अन्य कृषि उत्पादों को भी हमने ध्यान में रखा हैं। अपने देश जाकर वहा के टीम के साथ चर्चा करने के बाद यहा के उत्पादों को क्रय करने की दिशा में कदम उठाएंगे। पश्चिम अफ्रीका के अंतर्गत आने वाले घाना गणराज्य के सीमॉन बोके और कैथ कोंलिंग वूड विलियम ने अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में भाग लिया और यहा के किसानों से लेकर यहा के कृषि उत्पादों के संबंध में अलग-अलग विभागों के अधिकारियों से चर्चा की। रायपुर से अपने देश वापिस लौटने के दौरान सीमॉन बोके और कैथ कोंलिंग वूड विलियम ने अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन के अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की यह बेहतरीन पहल हैं। शासन की सहभागिता से किसान बहुत प्रोत्साहित होंगे और डिमांड वाले फसलों के उत्पादन में रूचि लेंगे। सीमॉन ने बताया कि घाना में काजू और कोको का निर्यात किया जाता है। उन्होंने यहा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध मुनगे के फल एवं ब्राउन राइस की अहमियत को समझने के बाद भविष्य में इसे आयात करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही। इसके लिये उन्होंने अपना देश जाकर सम्मेलन की जानकारी देने और यहा के कृषि उत्पादों के संबंध में विस्तार से चर्चा करने की बात कही। सीमॉन और कैथ ने इस तरह के सम्मेलन को समय समय पर वृहद स्तर पर आयोजित करते हुये किसानों तक इसका संदेश सकारात्मक रूप से पहुंचाने की आवश्यकता जताई ताकि किसान बहुत ही भरोसे एवं विश्वास के साथ बाजार में सही मूल्य में अपना उत्पाद बेचकर आर्थिक रूप से सक्षम बन सकें।