रायपुर । प्रदेश में नए सरकार बनते ही भूपेश सरकार ने 5 डिसमिल से कम रकबे की जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटा दिया गया था, सरकार के इस फैसले के बाद छोटे भू-खंड धारकों को जमीन की खरीदी-बिक्री के पंजीयन में बड़ी राहत मिल रही हैं। जनवरी से लेकर जून तक अब तक प्रदेश के सभी जिलों में कुल 53110 भूखंड धारकों का इससे लाभ मिल चुका हैं। सबसे ज्यादा रायपुर जिले में तो सबसे कम सुकमा जिले के भूखंड मालिकों ने नामांतरण और पंजीयन किए हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुनावी वादों को पूरा करते हुए प्रदेश में 5 डिसमिल से कम रकबे की जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटा दी हैं। सीएम भूपेश ने छोटे भू-खण्डधारकों को रजिस्ट्री में आ रही दिक्कतों को देखते हुए राजस्व विभाग को इसका तत्काल निराकरण करने के निर्देश दिए गए थे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर राजस्व विभाग द्वारा पूर्व में जारी आदेशों को स्थगित करते हुए आज नया आदेश जारी किया गया है, जिसके अंतर्गत पांच डिसमिल से कम रकबे की खरीदी-बिक्री पर रोक हटा दी गई हैं। जनवरी से लेकर जून तक पूरे प्रदेश में कुल 53110 लोगों को इसका लाभ मिल चूका है, जिनमें सबसे ज्यादा रायपुर जिले में 16632 भुखन मालिकों ने पंजीयन कराया है, जबकि दुर्ग जिले के 9478 लोगों का नाम दर्ज हैं। बिलासपुर की बात करे तो जनवरी से लेकर जून तक सिर्फ 7292 लोगों ने अपनी जमीन का पंजीयन कराया हैं। वही राजनांदगांव में 2817 और बलौदा बाजार में 2080 लोगों ने पंजीयन कराया है, जबकि जांजगीर-चांपा में 2075 लोगों का नाम दर्ज है, वही धमतरी में 1498 तो बेमेतरा में 1431 लोग पंजीयन करा चुके हैं। महासमुंद में 1209 तो सरगुजा में 1161 वही कबीरधाम में 1099 लोगों को लाभ मिल चूका हैं। बात करे अगर रायगढ़ की तो यहां अभी तक कुल 1072 का नाम दर्ज है, वही मुंगेली में 1008 जबकि बालोद जिले में 810 लोगों ने अपना पंजिया कराया हैं। कोरबा में 752 तो बस्तर में 703 जबकि कोरिया में 352 लोगों का नाम दर्ज हैं। जिला सूरजपुर में 344 लोगों ने पंजीयन और नामांतरण किए है, वही गरियाबंद में 340 और कांकेर में 243 , बात करे अगर जशपुर जिले की तो यहां अभी तक 227 लोगों का नाम दर्ज है, जबकि बलरामपुर जिले में 198 कोंडागांव में 83 इसे साथ ही दंतेवाड़ा में 67 वही नारायणपुर में 63 और बीजापुर जिले में 56 जबकि सबसे कम संख्या में सुकमा जिले के 20 लोगों ने जनवरी से जून तक पंजीयन किए हैं। राज्य शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार रजिस्ट्री के लिए खसरा नंबर के नक्शे में अंकन की अनिवार्यता स्थगित कर दी गई है। ले-आऊट के आधार पर किसी भूमि-स्वामी द्वारा किसी भू-खंड का विक्रय किया जाता है, तो ले-आऊट को पंजीयन का आवश्यक अंग मानते हुए बिना नक्शा बटांकन के पंजीयन होगा। वही ऐसे खसरा नंबरों का बिना विस्तृत सर्वेक्षण और गहन जांच के बिना नक्शे में अंकन संभव न होने के कारण यदि कोई भूमि-स्वामी किसी खसरा नंबर की पूरी जमीन को अंतरित करना चाहता है, तो पंजीयन के लिए उस खसरा नंबर के नक्शे में अंकन की अनिवार्यता स्थगित कर दी गई हैं। आरडीए व हाउसिंग बोर्ड द्वारा अगर अनुमोदित ले-आऊट भुंईया सॉफ्टवेयर में अपलोड नहीं किया गया है, तो संबंधित संस्थान द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण के आधार पर भू-खंडों के पंजीयन की कार्रवाई की जाएगी।