नई सरकार बनने की घड़ी नजदीक आने के साथ बैंकों के पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, ओरियंटल बैंक आॅफ कॉमर्स, आंध्रा बैंक, इलाहाबाद बैंक का पीएनबी में विलय हो सकता है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र की कोशिश है कि लंबे समय से घाटे में चल रहे छोटे और क्षेत्रीय बैंकों का किसी बड़े बैंक में विलय किया जाएए ताकि इनका फंसा कर्ज कम हो सके और ग्राहकों को बेहतर सुविधा दी जा सके। नई सरकार आने के बाद विलय का यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और अगले तीन महीनों में पीएनबी इन बैंकों का नियंत्रण हाथ में ले सकता है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ग्राहकों को सस्ता कर्ज मुहैया कराने के लिए सब्सिडी के तौर पर 48,757 करोड़ रुपये और मुहैया कराने पर विचार कर रही है। अभी देश में 20 सरकारी बैंक हैं। वर्ष 2017 में एसबीआई में पांच सहायक बैंकों का विलय भी हो चुका है। पिछले वित्त वर्ष में एलआईसी ने आईडीबीआई बैंक का नियंत्रण हाथ में लिया था। इसी साल एक अप्रैल से बैंक आॅफ बड़ौदा में विजया और देना बैंक का विलय प्रभावी हुआ है। इससे एसबीआई के बाद बैंक आॅफ बड़ौदा दूसरा सबसे बड़ा बैंक बना था, जिसकी करीब 9500 शाखाएं, 13,400 एटीएम, 85 हजार कर्मचारियों और 12 करोड़ ग्राहक हैं। खर्चों में कटौती के तहत नया बैंक 900 से 950 शाखाएं बंद करने की तैयारी कर रहा है। दिल्ली प्रदेश बैंक वर्कर्स आगेर्नाइजेशन के महासचिव अश्विनी राणा ने कहा कि सरकार ने अभी तक ऐसी कोई अधिसूचना तो जारी नहीं हुई है, लेकिन संभवत एक-दो ऐसे प्रस्ताव तैयार हैं। बैंक आॅफ बड़ौदा में देना और विजया बैंक के विलय पर उन्होंने कहा कि अब तमाम शाखाओं और प्रशासनिक कार्यालयों का विलय किया जा रहा है, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर कम होंगे। अगर कहीं पर देना और विजया बैंक की किसी शाखा का विलय होता है तो उस शाखा में काम का बोझ बढ़ेगा और हो सकता है ग्राहक से बैंक की दूरी भी बढ़ जाए। अभ्यर्थियों पर भी इसका असर पड़ेगा। देना और विजया बैंक के विलय के बाद बैंक आॅफ बड़ौदा ने दो दिन पहले ही 950 शाखाओं को बंद करने का ऐलान किया है।