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शास्त्र के अनुसार क्या है मृत्यु

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शास्त्र के सूत्रों और वचनों को यदि भलीभांति व सही परिप्रेक्ष्य में ना समझा जाए तो वे लाभप्रद होने के स्थान पर हानिकारक भी सिद्ध हो सकते हैं। अक्सर उचित एवं सटीक व्याख्या ना होने पर अर्थ का अनर्थ कर शास्त्रों के सूत्रों व निदेर्शों के प्रति भ्रांतियां निर्मित कर दी जाती हैं। आज हम पाठकों को ज्योतिष की मारकेश दशा से संबंधित एक महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। अधिकांश जनमानस ज्योतिष की दो दशाओं के आने पर अत्यधिक भयाक्रांत होता है- शनि की साढ़ेसाती एवं मारकेश की दशा। मारकेश की दशा के संबंध में अक्सर यह भ्रांति प्रचलित है कि इस दशा में जातक की मृत्यु घटित होती है जबकि यह तथ्य पूर्णत: सत्य नहीं अपितु आंशिक सत्य है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्रानुसार मृत्यु का अर्थ केवल प्राणहानि ही नहीं होता। शास्त्र का वचन है- व्यथा दु:खं भयं लज्जा रोग: शोकस्तथैव च। बन्धनं चापमानं च मृत्युचाष्टविध: स्मृत:॥ उपर्युक्त सूत्रानुसार शास्त्र आठ बातों को मृत्यु के सदृश मानता है, ये हैं- व्यथा, दु:ख, भय, लज्जा, रोग, शोक, बंधन, अपमान। अर्थात्् यदि किसी जातक पर मारकेश की दशा प्रभावशाली हो और उसकी आयु हो तो मारकेश की दशा में प्राणहानि ना होकर उसे इस दशा में केवल अत्यधिक कष्ट का सामना करना पड़ेगा जिसे मृत्युतुल्य कष्ट कहा जा सकता है।