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सीएम गहलोत ने कही आचार संहिता के प्रावधानों में बदलाव करने की बात, एक साथ चुनाव करवाने की वकालत की

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक साथ चुनाव करवाने की वकालत की है, बार बार चुनावों की आचार संहिता की वजह से सरकारों का कामकाज पर बुरा असर का हवाला देते हुए सीएम गहलोत ने आचार संहिता के प्रावधानों में बदलाव करने की बात कही है। खास बातचीत में सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि बार-बार आचार संहिता की वजह से बहुत वक्त बर्बाद होता है, देश का बहुत नुकसान होता है। सांसद-विधायक के चुनाव एक साथ होने चाहिए और स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव भी साथ-साथ होने चाहिए जिससे काम करने का वक्त मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधों के सवाल पर गहलोत ने कहा कि जयपुर में भी मोदीजी वसुंधराजी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे तो मुझे गले लगा लिया था। पहले जब मिलते थे गर्मजोश से मिलते थे, सीएम रहने के दौरान जब एयरपोर्ट पर मिलते थे तो मोदी मुझे गले लगाते थे। अब भी सीएम बनने पर पीएम से शिष्टाचार मुलाकात के लिए गया तो गर्मजोशी से मिले। यह शिष्टाचार की बात होती है। लेकिन जहां नीतियों और विचारधारा की बात आती है वहां हम समझौता नहीं करते। भैरोंसिंह शेखावत के साथ भी ऐसे ही संबंध थे लेकिन जब नीतियों विचारधारा की बात आती थी तो धज्जियां उड़ाने में कभी कसर नहीं छोड़ी। आज मोदीजी पर जो आरोप लगे है। उन पर हम जवाब मांगेंगे, उन पर समझौता नहीं होगा। सीएम अशोक गहलोत के साथ इस तरह बातचीत हुई। सवाल- प्रदेश में लोकसभा चुनावों के दोनों चरणों में बंपर वोटिंग हुई है, बढ़ा हुआ वोट प्रतिशत किसके पक्ष में जाएगा, यह क्या संकेत करता है। गहलोत- बढ़ा हुआ मत प्रतिशत हमारे पक्ष में जाएगा। मोदीजी का मुद्दा आधारित चुनाव अभियान तो था नहीं, सेना के पीछे छिपकर राजनीति करना अच्छी बात नहीं है। आज तक देश ने कई युद्ध जीते हैं, 1971 में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए, बांग्लदेश युद्ध में हमने पाकिस्तान सेना के 93 हजार युद्धबंदी बना लिए थे, वाजपेयीजी के वक्त में करगिल युद्ध हुआ, हमारी सेना के शौर्य को हम सलाम करते हैं। मोदी कांग्रेस पर झूठे आरोप लगा रहे हैं, सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो, सैनिक जीतकर आते हैं तो हमें खुश होती है। डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि हमारे वक्त में भी छह बार सर्जिकल स्ट्राइक हुई, हर सरकार की अपनी अपनी नीति होती है कि कोई उसका प्रचार नहीं करती। मोदी नए-नए पीएम बने हैं, सर्जिकल स्ट्राइक का फायदा उठाने की कोशिश में कोई कमी नहीं छोड़ी। सवाल- भाजपा ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव लड़ा है, क्या कांग्रेस की न्याय योजना राष्ट्रवाद का मुकाबला कर पाई है। गहलोत- कांग्रेस ने न्याय योजना ही नहीं अपने घोषणा पत्र में जनता से जुड़े अलग अलग मुद्दों को शामिल किया है, न्याय योजना, 22 लाख नौकरियां, राइट टू हेल्थ सहित जनता से जुड़े हर मुद्दे को शामिल किया है। कांग्रेस ने जनता से पूछकर घोषणा पत्र बनाया है। राहुल गांधी ने देश भर में अलग-अलग टीमें भेजकर यह जानने को कहा कि जनता क्या चाहती है। हम मोदी की तरह लोगों पर अपने मन की बात नहीं थोंपते। बीजेपी के मेनिफेस्टो की कहीं चर्चा ही नहीं है, ये घबराहट में हैं, इसलिए पांच साल पुराने वादों को ही फिर से घोषणा पत्र में शामिल कर लिया। आनन-फानन में भाजपा ने घोषणा पत्र तैयार किया, जिसकी जनता तो छोड़िए इनके नेता ही चर्चा नहीं कर रहे। भाजपा के पास असली मुद्दे हैं नहीं इसलिए मंदिर और धर्म के नाम पर वोट की राजनीति कर रहे हैं। सवाल- एक आम धारणा है कि कांग्रेस कई बार मुद्दे होने के बावजूद उन्हें न सही तरीके से उठा पाती है और न ही भाजपा को प्रभावी तरीके से जवाब दे पाती है, जबकि भाजपा हर मुद्दे को सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक भुना ले जाती है। गहलोत- उसका एक कारण है, भाजपा ने करोड़ों रुपए खर्च करके सोशल मीडिया टीमें तैयार कर रखी है। कांग्रेस का कार्यकर्ता संयमित और मर्यादित भाषा में जवाब देता है जबकि भाजपा के लोग सोशल मीडिया पर बहुत हल्के स्तर की भाषा का इस्तेमाल करते हैं, बेलो द बेल्ट कमेंट करते हैं। नोटंबदी एक बड़ा घोटाला है, नोटंबदी के बाद से भाजपा ने पूरे देश में हर ब्लॉक, जिला और प्रदेशों की राजधानियों में गैर कानूनी तरीके से जमीनें ली हैं, और दिल्ली में फाइव स्टार दफ्तर बनाया है, लेकिन देश की जनता का कॉमनसेंस बहुत जबर्दस्त है। देश के लोग कम पढ़े लिखे हो सकते हैं लेकिन उनकी समझ बहुत जबर्दस्त है। देश के लोग चुनावों मेंं भाजपा को जवाब जरूर देंगे। सवाल- राजस्थान में भी पिछली सरकार ने भाजपा दफ्तरों के लिए जिलों में जमीन आवंटन किए, क्या उनकी आपकी सरकार जांच कारवाएगी। गहलोत- सिरोही में गलत तरीके से भाजपा दफ्तर किे लिए आवंटन हुआ था, संयम लोढ़ा उसे कोर्ट तक लेकर गए और वहां जीते। भाजपा दफ्तरों के लिए अगर गैरकानूनी तरीके से जमीन आवंटन हुए हैं तो सरकार जांच करवाएगी। सवाल- आपकी सरकार तीन महीने भी पूरा काम नहीं कर पाई कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई, आगे भी अब पंचायत और निकाय चुनाव होने हैं, आचार संहिता की वजह से सरकारें काम नहीं कर पाती, क्या आप स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव साथ करवाने पर विचार करेंगे। गहलोत- बार-बार आचार संहिता की वजह से बहुत वक्त बर्बाद होता है, देश का बहुत नुकसान होता है। सांसद-विधायक के चुनाव एक साथ होने चाहिए और स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव भी साथ-साथ होने चाहिए जिससे काम करने का वक्त मिले। सवाल- राजस्थान में चुनाव खत्म हो चुके हैं, आप अब कौन कौनसे प्रदेशों में प्रचार करेंगे, 23 के बाद आचार संहिता हट जाएगी उसके बाद सरकार की प्राथमिकता पर क्या चुनावी नतीजों से असर पड़ेगा। गहलोत- हाईकमान जहां जिम्मेदारी देगा वहां प्रचार करेंगे, मध्यप्रदेश भी प्रचार करने जाउंगा। 23 मई के बाद हम हमारे घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए फिर से काम शुरू करेंगे। घोषणा पत्र में किए गए वादे पूरे करना हमारा नैतिक दायित्व है। सवाल- इन लोकसभा चुनावों में भाषा की मयार्दाएं टूटी हैं, पीएम मोदी की राजीव गांधी पर टिप्पणी के बाद विवाद बढ़ा, कांग्रेस नेताओं ने सोशल मीडिया पर तो इस पर प्रतिक्रिया दी लेकिन ग्राउंड पर कार्यकतार्ओं में कोई प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दी। गहलोत- राजीव गांधी पर जिस तरह की टिपपणी की गई वह पीएम को शोभा नहीं देता। बोफोर्स मामले में राजीव गांधी को हाईकोर्ट तक ने बरी किया, इसके बावजूद ये बोफोर्स बोफोर्स चिल्लाकर माहौल बना रहे हैं। इस तरह के जुमलों का नुकसान देश को उठाना पड़ता है। बोफोर्स शानदा तोप है, करगिल युद्ध में बोफोर्स ताचे चलाते हुए सैनिकों ने राजीव गांधी अमर रहे के नारे लगाए थे। बोफोर्स के मुद्दे पर कुछ नहीं निकला लेकिन इसके बाद रक्षा खरीद की प्रक्रिया प्रभावित हुई, इससे देश का नुकसान हुआ। राफेल शानदार लड़ाकू विमान है, यूपीए राज में इसकी खरीद प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन मोदी राज में बिना पुरानउ टेंडर रद्द किए इसी राफेल की कीमत 526 करोड़ से बढ़ाकर 1660 करोड़ कर दी, संख्या 126 से घटाकर 36 कर दी। मोदी को इन सवालों का जवाब देना होगा कि 526 का राफेल 1660 करोड़ का कैसे हुआ, वायुसेना ने 126 राफेल की जरूरत बताई थी तो उनकी संख्या घटाकर 36 क्यों की। लेकिन ये सवालों का जवाब ही नहीं देना चाहते, ये फासिस्ट लोग हैं हमें तो डर लगता है कि कहीं मोदी दोबारा जीतकर आ गए तो आगे पता नहीं चुनाव होंगे भी या नहीं, होंगे भी तो चीन की तरह दिखावे के तौर पर। सवाल- पीएम मोदी और आप एक दूसरे को निशाने पर लेते रहे हैं, मोदीजी से आपके संबंध कैसे हैं, आपकी पीएम से शिष्टाचार मुलाकात के फोटो तो गर्मजोशी दिखाने वाले थे। गहलोत- जयपुर में भी मोदीजी वसुंधराजी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे तो मुझे गले लगा लिया था। पहले जब मिलते थे, मैं भी सीएम था वे भी सीएम थे, जब एयरपोर्ट पर मिलते थे तो मोदी मुझे गले लगाते थे। अब भी सीएम बनने पर पीएम से शिष्टाचार मुलाकात के लिए गया तो गर्मजोशी से मिले। यह शिष्टाचार की बात होती है। लेकिन जहां नीतियों और विचारधारा की बात आती है वहां हम समझौता नहीं करते। भैरोंसिंह शेखावत के साथ भी ऐसे ही संबंध थे लेकिन जब नीतियों विचारधारा की बात आती थी तो धज्जियां उड़ाने में कभी कसर नहीं छोड़ी। आज मोदीजी पर जो आरोप लगे है। उन पर हम जवाब मांगेंगे, उन पर समझौता नहीं होगा।