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कोरोना से ज्यादा जानलेवा निपाह वायरस की केरल में एंट्री, सरकार ने रोकने के लिए किए ये कड़े उपाय

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तिरुवनंतपुरम
उत्तरी केरल के कोझिकोड जिले में ‘निपाह' वायरस के संक्रमण से दो मरीजों की जान जाने और दो अन्य लोगों के संक्रमित होने के बाद राज्य सरकार ने वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़े उपाय किए हैं। संक्रमण की गंभीर प्रकृति को देखते हुए कोझिकोड प्रशासन ने 7 ग्राम पंचायतों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर दिया है।

सोशल नेटवर्किंग साइट ‘फेसबुक' पर मंगलवार को जारी एक पोस्ट में कोझिकोड की जिलाधिकारी ए गीता ने कहा कि जिन पंचायतों को निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है, उनमें अतानचेरी, मारुथोंकारा, तिरुवल्लूर, कुट्टियाडी, कयाक्कोडी, विल्यापल्ली और कविलुम्परा शामिल हैं।

जिलाधिकारी ने कहा कि अगली सूचना तक इन निषिद्ध क्षेत्रों के अंदर-बाहर किसी भी तरह की यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी और पुलिस को इन इलाकों की घेराबंदी करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने बताया कि निषिद्ध क्षेत्रों में केवल आवश्यक वस्तुओं और चिकित्सा सामग्री की बिक्री करने वाली दुकानों के संचालन की अनुमति होगी। जिलाधिकारी के अनुसार, इन क्षेत्रों में आवश्यक सामान की बिक्री करने वाली दुकानें सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक खोली जा सकेंगी, जबकि दवा की दुकानों और स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्व-सरकारी संस्थान और ग्राम कार्यालय न्यूनतम कर्मचारियों के साथ कार्य कर सकते हैं।

जॉर्ज ने इस बात की पुष्टि की है कि कोझिकोड में हुई अप्राकृतिक मौत इसी वायरस की वजह से हुई है। कहा गया है कि एक शख्स की इसी महीने मौत हुई है जबकि दूसरे की मौत 30 अगस्त को हुई थी। बता दें कि 2018 के बाद चौथी  बार केरल में निपाह वायरस का कहर है। 2018 में जब पहली बार केरल में निपाह वायरस पाया गया था तब 23 संक्रमित लोगों में से 21 की जान चली गई थी। इसके बाद 2019 और 2021 में फिर से निपाह के केस पाए गए।

निपाह की नहीं बनी है वैक्सीन
आपको जानकर हैरानी होगी कि कोरोना वायरस की वैक्सीन एक साल में ही तैयार हो गई लेकिन निपाह वायरस की वैक्सीन और दवाई अब तक उपलब्ध नहीं है। यह ब्रेन और नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है। इस वायरस की वजह से इंसान बहुत जल्दी कोमा में जा सकता है। तेज बुखार, बदन दर्द, उल्टी इसके लक्षण होते हैं। बताया जाता है कि यह वायरस चमगादड़ों से फैला। 1999 में मलेशिया और सिंगापुर में इस वायरस की पहचान की गई थी।

बांग्लादेश में कैसे फैला था वायरस
बांग्लादेश में साल 2016 में निपाह वायरस ने कई जानें ले ली थीं। बताया गया था कि यह वायरस खजूर के फल से फैला। खजूर के पेड़ पर चमगादड़ इकट्ठा हुआ करते थे। इसके बाद कई लोगों ने इस पेड़ के खजूर और तरल का इस्तेमाल किया  जो कि बीमार हो गए। यही निपाह का बांग्लादेश वेरिएंट है जो कि केरल में फैल रहा है।

केंद्र सरकार की टीम केरल पहुंची
निपाह वायरस की पुष्टि के बगाद एनआईवी पुणे की टीम केरल पहुंच गई है। कोझिकोड मेडिकल कॉलेज में एक मोबाइल लैब बनाई गई है। चेन्नई के विशेषज्ञों की एक टीम भी केरल पहुंची है। कोझिकोड प्रशासन ने सात ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। लोगों को मास्क पहनने और सैनिटाजर इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।