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“INDIA” में सीटों को लेकर रार, लेफ्ट-कांग्रेस के दावे का तोड़ कैसे निकालेंगे तेजस्वी-नीतीश

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पटना
 कहने को भले राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पूरे देश में 'इंडिया' गठबंधन के दलों को सीट बंटवारे को लेकर आश्वस्त कर रहे हैं कि बड़ी आसानी से मसला हल हो जाएगा, लेकिन सच्चाई यह है कि सीट बंटवारे को लेकर बिहार में ही महागठबंधन के दलों के बीच रार मची हुई है। राजद सुप्रीमो लालू यादव भी समझते हैं कि बिहार में सीट शेयरिंग का मसला आसान नहीं है। जिस तरह से महागठबंधन के दलों ने लड़े जाने वाली सीटों को लेकर अपनी अपनी राय प्रकट की है, उसका समाधान तभी संभव है ,जब महागठबंधन के बड़े दल 'बड़ा दिल' दिखाए। ठीक वैसे ही जैसे एन. डी. ए. में बीजेपी दिखाती थी।

राजद सुप्रीमो के 'फूटे' बोल
यह सच है कि 'इंडिया' महागठबंधन की मुम्बई बैठक में सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत हुई, जो किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुंची थी। हां, समन्वय समिति जरूर बनाई गई थी। हालांकि कहने को समिति के नेता सीट शेयरिंग को लेकर लगातार बातचीत कर रहे थे। फिर भी कोई समीकरण सामने अब तक नहीं आ पाया है। हालांकि इस मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अब 'इंडिया' महागठबंधन में सीट शेयरिंग और उम्मीदवारों का चयन कोई समस्या नहीं है। 12 और 13 सितंबर से सीट शेयरिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

'इंडिया' गठबंधन अब सीट शेयरिंग में कोई देर नहीं करना चाहता है। ऐसा इसलिए ताकि जल्द ही चुनावी तैयारी शुरू कर सके। बता दें, 12 से 14 सितंबर तक इंडिया महागठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। 13 सितंबर को कोऑर्डिनेशन कमेटी की पहली बैठक होगी। इस बैठक में बिहार से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूद रहेंगे।

जदयू की सिटिंग सीट पर दावा
जहां तक जदयू का सवाल है तो वो अपना दावा उन लोकसभा सीटों पर ठोंकेगी, जो पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान जीती थी। हालांकि यहां ध्यान देने वाली ये बात है कि जेडीयू ने 2019 में जो सीटें जीती थीं, वो बीजेपी के वोट बैंक के सहारे जीती थीं। तब जदयू को 16 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी। ये वही सीटें थीं, जिनमें जदयू ने राजद को 14 लोकसभा सीटों पर मात दी थी। इनमें राजद सुप्रीमो लालू यादव की पसंदीदा सीट सिवान लोकसभा भी है। वर्ष 2019 में सिवान से जदयू की उम्मीदवार कविता सिंह ने राजद उम्मीदवार हीना शाहबुद्दीन को हराया था। क्या सिवान लोकसभा सीट जिस पर राजद की ज्यादा दावेदारी रही है, उस सीट से जदयू खुद को अलग करेगी। ऐसे कई सीट हैं, जहां राजद और जदयू को परेशानी ही सकती है।

राजद की दावेदारी का समीकरण
जहां तक गत लोकसभा चुनाव 2019 की बात है तो राष्ट्रीय जनता दल एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी। राजद के उम्मीदवार कुल 19 लोकसभा सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे थे। राजद की दावेदारी आगामी लोकसभा में जो बनने जा रही है, उसका आधार 2019 की लोकसभा चुनाव में सेकेंड रनर रहीं 19 सीट तो हैं ही, साथ ही विधायकों की वर्तमान संख्या भी है।

राजद सूत्रों की बात करें तो आगामी लोकसभा चुनाव में राजद और जदयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। यह संख्या 16-16 या 15-15 सीटें होंगी। यानी महागठबंधन के अन्य दलों को 10 या 8 सीटों में एडजस्ट करने का संघर्ष झेलना होगा। वो भी इसलिए कि महागठबंधन के अन्य दलों की दावेदारी जो सामने आई है, उसकी संख्या 18 से 20 लोकसभा सीटों को ले कर है।

कांग्रेस और वामदल की दावेदारी को पार पाने की चुनौती
राष्ट्रीय पार्टी होने की दावेदारी के साथ कांग्रेस बिहार में लगभग 10 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में कई बार कहा है कि कांग्रेस की दावेदारी पार्टी के अस्तित्व और लोकप्रियता के सापेक्ष है। कांग्रेस की दावेदारी का एक तुर्रा यह भी है कि गत चुनाव में सिर्फ कांग्रेस ने एन. डी. ए. को किशनगंज लोकसभा सीट पर परास्त किया था। इतना ही नहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने तो अपनी दावेदारी वाले लोकसभा सीटों को मीडिया के सामने उजागर भी किया है। कांग्रेस की दावेदारी वाली सीट वाल्मिकीनगर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, समस्तीपुर, मुंगेर, पटनासाहेब और सासाराम है।

क्या सीट शेयरिंग फॉर्मूला लाएंगे तेजस्वी
बहरहाल, 12 से 14 सितंबर को होने वाली बैठक में इंडिया गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक में इस समस्या का हल निकालने वाला है। अब देखना है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बिहार के लिए सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला लाते हैं, जो महागठबंधन के सभी दलों को स्वीकार्य हो।