कनाडा
कनाडा में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का सर्रे जनमत संग्रह भी बुरी तरह फेल हो गया है।आयोजकों ने इस जनमत संग्रह के लिए एक लाख से ज्यादा वोट का दावा किया था, लेकिन 8 घंटे के मतदान के दौरान इस जनमत संग्रह में 10 हजार से भी कम लोगों ने वोट किया।इसलिए आयोजकों को दोबारा जनमत संग्रह के लिए 29 अक्टूबर की तारीख घोषित करनी पड़ी। जनमत संग्रह के मुख्य आयोजक पॉल जैकप ने दावा किया कि इस जनमत संग्रह के दौरान सभी सिख मतदान नहीं कर सकते। इसलिए 29 अक्टूबर को एक बार फिर वोट डाले जाएंगे। सर्रे में जनमत संग्रह रद्द होने के बाद बौखलाए पन्नू ने दिल्ली को खालिस्तान बनाने की धमकी दी है। उसने कहा है कि खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर को मारने वालों से बदला लिया जाएगा।
इस जनमत संग्रह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के अलावा कनाडा में भारत विरोधी पंजाबी मीडिया और कनाडा की स्थानीय मीडिया का भी समर्थन मिला। पिछले कुछ दिनों से कनाडा के रेडियो और टी. भी इस जनमत संग्रह के पक्ष में प्रचार कर रहे थे, लेकिन इस बीच पिछले 41 साल से कनाडा में रेडियो और टी.वी. चला रहे जुगिंदर बस्सी ने भी जनमत संग्रह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया । स्कूल की प्रबंधन समिति और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखने और जनमत संग्रह में पहले स्कूल के स्थान के खिलाफ स्थानीय कनाडाई लोगों के विरोध के बाद आयोजकों को जनमत संग्रह का स्थान बदलना पड़ा।
बस्सी ने उड़ाया जनमत संग्रह का मजाक
आज के जनमत संग्रह के बाद बस्सी ने खालिस्तान समर्थकों के दावों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि जनमत संग्रह के आयोजक गलत दावे कर रहे हैं क्योंकि 8 घंटे में 28 हजार 800 सेकेंड होते हैं। यदि एक सेकंड में 4 वोट भी डाले जाएं तो लाखों वोट डालना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोजकों ने दावा किया है कि इन वोटों के लिए डेढ़ किलोमीटर की लाइन लगेगी, लेकिन अगर हम एक मीटर के दायरे में 4 लोगों को खड़ा करेंगे तो एक किलोमीटर में 4 हजार लोग ही खड़े हो सकेंगे। क्या आयोजक यह कहना चाहते हैं कि इतने लोग वोट देने आए कि 25 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई। ऐसे बेतुके दावे पाकिस्तान से ISI ख़ुफ़िया एजेंसी की उपज हैं और खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजकों को इतनी भी संख्या नहीं पता है कि जब वे दावे करना शुरू करते हैं तो थोड़ा कैलकुलेटर का उपयोग कर सकें।
नई तारीख की घोषणा
उन्होंने कहा कि जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होते हैं तो प्रति सीट वोटों की औसत संख्या इतनी होती है और विधानसभा चुनाव के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र के भीतर कम से कम 50 केंद्र बनाने पड़ते हैं क्योंकि एक वोटिंग मशीन में लगभग 2 हजार लोग वोट करते हैं। खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजकों ने एक मतदान केंद्र में एक लाख से अधिक लोगों को वोट देने के लिए किस तरह का जादू किया? ये भी अपने आप में हास्यास्पद लगता है। उन्होंने कहा कि खालिस्तान जनमत संग्रह के आयोजक इसकी विफलता के बाद घबरा गए हैं और अब उन्हें अपनी गरिमा बचाने के लिए 29 अक्टूबर की नई तारीख की घोषणा करनी पड़ी है। इस बीच पंजाब फाउंडेशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार सुखी चहल ने दावा किया है कि यह जनमत संग्रह बुरी तरह विफल रहा है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म अपनी कौम और एकता का संदेश देता है, लेकिन इसके आयोजक जनमत संग्रह के नाम पर दुनिया भर में सिख धर्म की प्रतिष्ठा खराब कर रहे हैं।