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राजनीति के मंच पर सीएम गहलोत की जादूगरी

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने जादूगर पिता की तरह जादू दिखाया, लेकिन राजनीति के मंच पर। उन्हीं की जादूगरी का कमाल है कि पिछले साल कांग्रेस राज्य में भाजपा से सत्ता छीनने में कामयाब हो गई। हालांकि लोकसभा चुनावों में चुनौती ज्यादा बड़ी है। राज्य की सभी 25 सीटों पर पिछली बार भाजपा ने कब्जा जमाया था। गहलोत पांच बार लोकसभा सांसद रहे हैं। मगर इस बार जोधपुर सीट से उनके बेटे वैभव गहलोत सियासी मैदान में उतरे हैं। जोधपुर समेत 13 सीटों पर पहले चरण के दौरान 29 अप्रैल को मतदान हो चुका है। मगर राजधानी जयपुर समेत बाकी 12 सीटों पर छह मई को वोटिंग होनी है। विधानसभा चुनावों के बाद लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस की वापसी की जिम्मेदारी गहलोत पर ही है। वर्तमान में राजस्थान में वह सबसे बड़े कद के नेता हैं। अपनी सादगी के लिए पहचाने जाने वाले गहलोत को कार्यकतार्ओं का नेता भी कहा जाता है। जमीनी स्तर पर उनका नेटवर्क बहुत ही ज्यादा मजबूत है। यही वजह है कि राजस्थान की जातिगत राजनीति को दरकिनार करते हुए वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। 1998 में वह ऐसे समय में मुख्यमंत्री बने , जब प्रदेश में जाट और ब्राह्मण नेताओं का बोलबाला था। उनका जीवन बहुत सीधा-सादा है। रेल में चलना पसंद करते हैं और आम लोगों के लिए हर समय उपलब्ध रहते हैं। वर्ष 2017 में उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाकर भेजा गयाए तो विरोधियों को लगा कि राजस्थान की राजनीति से उनकी विदाई हो गई है। मगर जमीनी स्तर पर उन्हीं के काम का नतीजा था कि नरेंद्र मोदी के गढ़ में कांग्रेस ने टक्कर दी। गहलोत उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें पार्टी संगठन का व्यक्ति कहा जाता है। 1971 में पूर्वी बंगाल के शरणार्थी शिविरों में काम करते वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ध्यान उन पर गया। इसके बाद उन्हें राजस्थान की छात्र राजनीति से जोड़ा गया। अशोक गहलोत अब भी संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। यही नहीं प्रदेश से बाहर के नेताओं व समुदायों तक भी उनकी पहुंच है। निजी जीवन-3 मई, 1951 को जोधपुर में जन्म। पिता लक्ष्मण गहलोत पेशे से जादूगर थे। कानून में स्नातक व अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, 27 नवंबर 1977 को सुनीता गहलोत से विवाह, गहलोत के एक बेटे वैभव गहलोत और एक बेटी सोनिया गहलोत है ,गहलोत महात्मा गांधी की शिक्षा से काफी प्रभावित हैं। सोशल मीडिया-2011 अक्तूबर से सोशल मीडिया पर सक्रिय ,652603 फॉलोअर्स ट्विटर पर । राजनीतिक जीवन-1971 में पूर्वी बंगाल के शरणार्थी कैंपों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। 1974 में राजस्थान एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे। 1982 में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव बनाए गए 1994 में प्रदेश अध्यक्ष बने। 2018 में तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। 1998 में कई बड़े नेताओं को दरकिनार कर पहली बार सीएम बने। 29 साल की उम्र में 1980 में जोधपुर से पहली बार सांसद बने। 5 बार जोधपुर से लोकसभा सांसद रहे।