नई दिल्ली
जी20 सम्मेलन का पहले दिन का कार्यक्रम बेहद खास रहा। दुनियाभर के देश इस बात को मान रहे हैं कि पहले के सम्मेलनों से दिल्ली का सम्मेलन ज्यादा सफल हो रहा है। बड़ी बात यह भी रही कि 55 देशों के संगठन अफ्रीकी यूनियन को भी जी20 में शामिल कर लिया गया और स्थायी सदस्यता दी गई। भारत ने इसके लिए पश्चिमी देशों को मना लिया है जो कि आसान काम नहीं था। बड़ी बात यह है कि अफ्रीका में चीन बड़ा निवेश करता है। भारत की यह कामयाबी ना केवल भारत के लिए है बल्कि पूरे अफ्रीका के लिए भी है।
लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी ने बनाया था संगठन
जी20 संगठन में ज्यादातर पश्चिमी देश हैं। इसके अलावा इसमें यूरोपियन यूनियन भी शामिल है। कभी अफ्रीकी यूनियन संगठन को पश्चिमी देशों के खिलाफ ही बनाया गया था। ऐसे में जी20 में अफ्रीकी यूनियन को लाना आसान काम नहीं था। हालांकि अर्थव्यवस्था के लिहाज से इस यूनियन को जी20 में लाना जरूरी था। यह 55 देशों का समूह है जिसकी जीडीपी 18.81 हजार करोड़ रुपये है।
औपनिवेशिक शासन से निकलना चाहता था अफ्रीका
1963 में इथियोपिया में 32 अफ्रीकी देशों ने बाठक की थी। उस वक्त अफ्रीका के कई देश ब्रिटेन और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों के गुलाम थे। यहां पर अफ्रीकी एकता संगठन का गठन हुआ। 15 साल बीतते-बीतते अफ्रीका में भी इस संगठन का विरोध किया गया। कहा जाने लगा कि संगठन पूरी तरह से तानाशाहों का है। हालांकि जब लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी यूएन में स्पीच दी तो उनकी लोकप्रियता पूरे अफ्रीका में बढ़ी.
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अफ्रीका बनाने की बात
1999में गद्दाफी ने लीबिया में अफ्रीका एकता संगठन का सम्मेलन आयोजित किया। यहां पर उन्होंने यूएसए की ही तरह यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अफ्रीका बनाने की सलाह दी। गद्दाफी ने इस संगठन में काफी धन भी खर्च किया। इसे गुलाम देशों को आजादी दिलाने के लिए एक मंच के तौर पर बनाया गया था जिससे की आसानी से बातचीत हो सके। साल 2002 में इसका नाम बदलकर अफ्रीकी यूनियन रख दिया गया।
भारत के लिए कितना अहम अफ्रीकी यूनियन
चीन इस समय अफ्रीका में निवेश करके कई देशों को कर्ज में दबाने और खुद फायदा कमाने की कोशिश में लगा है। ऐसे में भारत भी ग्लोबल साउथ नेता बनना चाहता है। भारत इस समय ऐसे चैंपियन के रूप में उभरा है जो कि विकासशील देशों का मसीहा है। जी20 में भी भारत ने विकासशील देशों के हित की बात सामने रखी। भारत चाहता है कि अफ्रीकी देशों में चीन का दबदबा कम हो। ऐसे में दुनियाभर में भारत का रुतबा बढ़ेगा और चीन पस्त हो जाएगा। बता दें कि सीमा विवाद में उलझे चीन को भारत अब वैश्विक स्तर पर घेर रहा है। वहीं जी20 सम्मेलन में शी जिनपिंग ने हिस्सा भी नहीं लिया। इससे अमेरिका समेत कई देश खुश भी नजर आए।