नई दिल्ली.
देश की राजधानी दिल्ली जी-20 देशों की मीटिंग के लिए सज-धज कर तैयार है। जो बाइडेन, ऋषि सुनक समेत दुनिया भर के शीर्ष नेताओं के स्वागत के लिए खास तैयारियां की गई हैं। इस संगठन को दुनिया का एजेंडा तय करने वाला माना जाता है, जिसमें टॉप 20 इकॉनमी शामिल हैं। रूस, चीन, जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इंडोनेशिया, सऊदी अरब, कनाडा, तुर्की, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, मेक्सिको, जापान, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और इटली जैसे देश इसका हिस्सा हैं। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन को भी शामिल किया गया है।
इनमें से कई ऐसे देश हैं, जो क्षेत्रफल और आबादी की दृष्टि से काफी छोटे हैं। फिर भी उन्हें इसका हिस्सा बनाया गया है। ऐसे में पाकिस्तान में जी-20 की मीटिंग के दौरान हमेशा ही यह मसला उठता है कि आखिर उनका देश इस संगठन में शामिल क्यों नहीं है। आबादी में दुनिया का 5वां सबसे बड़ा देश और क्षेत्रफल में तुर्की, जापान और फ्रांस जैसे देशों से बड़े पाकिस्तान के इससे बाहर रहने की सबसे बड़ी वजह तो उसकी इकॉनमी ही बताई जाती है। पाकिस्तान भले ही क्षेत्रफल में दुनिया का 33वां बड़ा देश है और आबादी में 5वें नंबर पर है, लेकिन वह अर्थव्यवस्था के मामले में 42वें स्थान पर खड़ा है।
यही नहीं बांग्लादेश, इजरायल, स्वीडन, पौलैंड जैसे छोटे देश भी अर्थव्यवस्था में उसको मात देते हैं। 26 सितंबर, 1999 को अस्तित्व में आए इस संगठन को अब वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं राजनीति की धुरी माना जाता है। चीन, रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और भारत जैसी महाशक्तियों के इसमें शामिल होने की वजह से इसकी अहमियत को समझा जा सकता है। वहीं पाकिस्तान में इसे लेकर हमेशा एक खीझ और गुस्सा रहा है कि हम इसका हिस्सा आखिर क्यों नहीं हैं।
पाकिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री जावेद अहमद बुर्की मानते हैं कि जी-20 देशों में शामिल न होना पाकिस्तान की कूटनीतिक असफलता भी है। वह मानते हैं कि यदि जी-20 में पाकिस्तान को एंट्री मिल जाए तो वह दुनिया में किनारे लगने की स्थिति से बच सकता है। वह यह भी कहते हैं कि पाकिस्तान का चीन के पाले में जाना भी इसकी एक वजह है क्योंकि भारत और अमेरिका एकजुट होकर पाकिस्तान का विरोध करते हैं। जबकि वह चीन के साथ रहकर अकेला पड़ गया है। वह कहते हैं कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर ऐसे रिश्ते रखने होंगे कि जी-20 में एंट्री का माहौल तैयार हो सके।