नई दिल्ली
कोंकण के आम उत्पादकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत देते हुए मैंगो बोर्ड बनाने की घोषणा की जो काजू बोर्ड की तरह काम करेगा। आम का उत्पादन बढ़ाने, कीटों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए विशेषज्ञों की एक टास्क फोर्स गठित की जाएगी। कीटों के रोक थाम के लिए कृषि विभाग विदेशी विशेषज्ञों से भी मदद ले सकता है। आम महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण फल है। हापुस अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। पिछले कुछ सालों से मौसम में होने वाले अप्रत्याशित बदलवों के कारण आम उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ है।
कोंकण इलाके के आम और काजू उत्पादकों के साथ मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने निर्देश दिया कि आम के घटते उत्पादन और कीड़ों से होने वाले नुकसान के संबंध में तत्काल बैठक करके कृषि मंत्री की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स नियुक्त की जाए और इसमें कोंकण कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विशेषज्ञों को शामिल किया जाए।
आम उत्पादन वृद्धि हेतु टास्क फोर्स
दापोली कृषि विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू सीजन में आम का उत्पादन पिछले साल की तुलना में बहुत कम यानी सिर्फ 15 फीसदी है। पिछले 15 वर्षों से थ्रिप्स रोग के कारण आम को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। अगर इस तरह घाटा हुआ तो उत्पादकों को भारी नुकसान होगा। रोगों से निपटने के लिए नई योजना तैयार की गई है। यदि आम पर कीटनाशक प्रभावी नहीं हैं, तो उचित शोध की आवश्यकता है। कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विभाग मिलकर कीट पर हुए शोध का विदेशों में अध्ययन कर आम उत्पादकों को राहत देने का रास्ता खोजेंगे।
मैंगो बोर्ड का होगा गठन
काजू बोर्ड की तरह कोंकण में मैंगो बोर्ड शुरू किया जाएगा। रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग में हापुस आम बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं। बोर्ड में बीमा, उत्पादन वृद्धि, दवा के छिड़काव के साथ-साथ उत्पादकों को प्रोत्साहन, अनुसंधान जैसे व्यापक दायरे होने चाहिए। अभी तक काजू बोर्ड को 200 करोड़ रुपये दिए गए हैं और अगले 5 साल में 1,300 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। गीले काजू की कीमत 10 प्रतिशत अधिक है। साथ ही कोंकण के काजू का स्वाद भी अच्छा होता है। काजू पर प्रसंस्करण उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
सिंधुरत्न के लिए फंड
सिंधुरत्न के लिए अभी फंड उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग को आगे की अनुपूरक मांगों में सिंधुदुर्ग और रत्नागिरी जिलों को 100-100 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। कोंकण विकास प्राधिकरण की स्थापना अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है और इसके माध्यम से हम वास्तव में कोंकण और विशेष रूप से इसके किसानों और उत्पादों को बेहतर बना सकते हैं।
आठ साल पहले हुए नुकसान की अब होगी भरपाई
करीब आठ साल पहले बेमौसम बारिश से जनवरी, फरवरी और मार्च 2015 के तीन महीनों में हुए नुकसान के लिए आम किसानों के फसल ऋण माफी की घोषणा की गई थी। 12 हजार 513 कर्जदारों को 3 करोड़ 35 लाख 93 हजार 178 रुपए की ब्याज माफी और ऋण पुनर्गठन के कारण 5 करोड़ 26 लाख 58 हजार 433 रुपए की ब्याज राशि किसानों को नहीं मिली। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने 2015 में कोंकण में आम के नुकसान के कारण तीन महीने की ब्याज माफी और पुनर्गठित ऋणों पर ब्याज के रूप में आम किसानों के खातों में साढ़े आठ करोड़ से अधिक जमा करने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया।