रांची
रांची के टैगोर हिल पर स्थित ब्रह्म मंदिर को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने और इसके संरक्षण के लिए हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। मंगलवार को चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह निर्देश दिया।
बता दें कि 31 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राज्य सरकार को टैगोर हिल से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। भू राजस्व विभाग को एक समिति बनाने का निर्देश दिया। समिति को टैगौर हिल की चहारदीवारी की मापी करने और उसे मूल स्वरूप में लाने का निर्देश दिया। चहारदीवारी के सर्वे के लिए बनायी जाने वाली समिति में रांची के उपायुक्त की ओर से मनोनीत सदस्य शामिल होंगे। कोर्ट ने कहा कि टैगोर हिल रांची का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है इसलिए सरकार का यह दायित्व है कि वह इसे संरक्षित और सुव्यवस्थित करे।
शौचालय, सफाई और पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ करने को कहा
अदालत ने अपने आदेश में सरकार को टैगोर हिल के रखरखाव के साथ ही महिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर और दिव्यांगों के लिए शौचालय की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि शौचालयों का निर्माण करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि यह धरोहरों के बीच में न आ जाए। सरकार का साफ-सफाई की व्यवस्था नियमित जारी रखने, पूरे टैगोर हिल को प्लास्टिक मुक्त बनाने का निर्देश दिया। पर्यटकों के लिए बैठने और पेयजल की व्यवस्था करने का निर्देश भी अदालत ने दिया।
केंद्र ने किया था इनकार
पूर्व की सुनवाई में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि टैगोर हिल का ब्रह्म मंदिर राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने योग्य नहीं है, इसके लिए कुछ मापदंड होते हैं, जो ब्रह्म मंदिर पूरा नहीं करता है। वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कोर्ट को बताया था कि भारतीय पुरातत्व विभाग की मंजूरी के बाद टैगोर हिल की मरम्मत एवं मेंटेनेंस के लिए 69 लाख 30 हजार रुपए राज्य सरकार ने स्वीकृत कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने पैरवी की थी।
क्या है मामला
प्रिजर्वेशन ऑफ ट्राइबल कल्चर एंड नेचुरल ब्यूटी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। प्रार्थी के अधिवक्ता शैलेश पोद्दार की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि टैगोर हिल के ऊपर स्थित ब्रह्म मंदिर 113 साल पुराना है। जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर ने बनवाया है। यह ब्रह्म मंदिर आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है और टूट रहा है। राज्य सरकार द्वारा इसके संरक्षण और देखभाल नहीं किया जा रहा है। इस ब्रह्म मंदिर का संरक्षण किया जाए और केंद्र सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए।