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पत्रकारिता पर खतरे बढ़े हैं किंतु देश में लोकतंत्र जड़ें गहरी हैं – देवेश चंद्र ठाकुर

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रायपुर/पटना.

इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन(आईजेयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक विगत दिनों को बिहार विधान परिषद के उप भवन के सभागार में शुरू हुई। बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के तत्वाधान में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता आईजेयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष  के. श्रीनिवास रेड्डी ने की। बैठक का उदघाटन बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने किया जबकि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के श्रम मंत्री सुरेन्द्र राम और कांग्रेस विधायक दल के नेता डा. शकील अहमद खान मौजूद थे।

इस मौके पर देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि पत्रकारिता पर खतरे बढ़े है, लेकिन लोकतंत्र की जड़े मजबूत है। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से यहां आए पत्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि आज पत्रकारिता पर चुनौतियां जरूर बढ गई है। लेकिन देश के पत्रकार इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और देश की आजादी को कोई भी सरकार कुछ समय के लिए दबा सकती है, लेकिन इसे खत्म नही किया जा सकता है।

उद्घाटन सत्र के पश्चात  उपस्थित 19 राज्यो के प्रतिनिधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष पी सी रथ ने संगठनात्मक ब्यौरा रखा, मजीठिया वेजबोर्ड की मांग रखने वाले पत्रकारों की प्रताड़ना का मुद्दा रखते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में यूनियन से जुड़े साथी 350 से अधिक मामले श्रम न्यायालयों में लड़ रहे हैं। तबादलों के 2 मामलों में नईदुनिया जागरण समूह से 2 साथियों ने जीत भी हासिल की है।

उन्होंने मणिपुर के पत्रकारों के लिये एकजुटता के लिये किये प्रदर्शनों की जानकारी दी,  हायर पेंशन के लिये इ पी एफ के पोर्टल के लिये पत्रकारों में जागरूकता पैदा करके, आवेदन करवाने का विवरण भी सभा के समक्ष रखा।  छत्तीसगढ़ में मीडिया कर्मियों की सुरक्षा के लिये लाये गए विधेयक की विसंगतियों का जिक्र भी किया तथा राष्ट्रीय पदाधिकारियों को उसकी प्रति दी। राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा इस अवसर पर पी सी रथ को मध्यप्रदेश में संगठन के विस्तार के लिये जिम्मेदारी दी गयी।

उत्तरप्रदेश, बिहार, तेलांगना, आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडु, पॉन्डिचेरी, राजस्थान, गुजरात, अंडमान निकोबार, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, ओड़ीसा , झारखंड , दिल्ली के प्रतिनिधियों ने भी दूसरे दिन दोपहर तक अपने राज्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।

दूसरे दिन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थे उन्होंने पूर्व वक्ताओं द्वारा की गई शिकायत कि इन वर्षो में पत्रकारों के ख़िलाफ़ NSA लगाए जाने के कई उदाहरण दिखाई दे रहे हैं, का जवाब देते हुए कहा कि  यदि लोकतंत्र बचाने, पत्रकारिता कर्म के लिये किसी पत्रकार के लिये देशद्रोही अपराध दर्ज किया जाता है तो मैं उसके विरोध में आपके साथ खड़ा रहूंगा लेकिन यदि 100 में से किसी एक पत्रकार द्वारा देश विरोधी गतिविधियां की जाती हैं तो फिर उस पर तो प्रकरण दर्ज किया ही जायेगा। क्योकि सर्वोपरि तो देश ही है और देश के खिलाफ किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नही किया जाएगा। आज पत्रकारिता को दबाया भले जा सकता है किंतु मिटाया नही जा सकता।

युवा पत्रकारों से जुड़े मुद्दों पर छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि सुधीर आज़ाद तम्बोली ने अपनी बात रखी तथा डिजिटल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों की समस्याओं को सामने रखा। पत्रकार कौन ? इस प्रश्न को उठाते हुए उन्होंने बस्तर के पत्रकार संतीश यादव के साथ हुई मारपीट का मामला 3 साल बाद भी न्यायालय में लंबित होने की जानकारी दी। पत्रकारों को न्याय मिलने में होने वाली देरी का जिक्र किया। कार्यक्रम का समापन जोशीले गीतों के माध्यम से किया गया तथा देश भर के पत्रकारों से जुड़े मुद्दों पर एकजुटता बढ़ाने का आह्वान किया गया।