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वसुंधरा के भरोसे राजस्थान में नहीं बीजेपी! दिल्ली से क्यों संभाली जा रही चुनाव की पूरी कमान

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जयपुर

राजस्थान में एक ट्रेंड रहा है कि वहां हर चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023) में सत्ता बदलती है। यह ट्रेंड इस लिहाज से बीजेपी के पक्ष में है कि अभी राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है और बीजेपी का दावा है कि राज्य में सत्ता विरोधी रुझान है। बीजेपी लगातार कभी करप्शन के मसले पर तो कभी कानून-व्यवस्था के मसले पर कांग्रेस सरकार को घेर रही है। लेकिन बीजेपी (Rajasthan BJP) के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के नेता ही हैं। बीजेपी के लिए राजस्थान में अपने नेताओं को साथ करना और एकजुट होकर चुनाव लड़ना एक बड़ा टास्क है।

पार्टी नेताओं को एकजुट रखने की कवायद
राज्य में जिस तरह बीजेपी नेताओं के अलग-अलग ग्रुप बने हैं। सब खुद को सीएम पद का दावेदार मानते हुए कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी सीएम उम्मीदवार का ऐलान कर दे। इसे देखते हुए विधानसभा चुनाव की कमान बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने अपने हाथ में ही रखी है। यहां तक कि राज्य में अगले महीने निकलने वाली परिवर्तन यात्रा को भी केंद्र के नेता ही हरी झंडी दिखा रहे हैं। परिवर्तन यात्रा के लिए कोई एक चेहरा आगे नहीं किया गया है।

 

परिवर्तन यात्रा में भी राज्य के नेताओं को जिम्मेदारी नहीं
सितंबर में बीजेपी राजस्थान में चार परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। इन चारों यात्राओं की कमान पहले चार अलग-अलग नेताओं को दी गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को यात्रा का नेतृत्व करना था। लेकिन फिर बीजेपी ने प्लान बदल दिया। बीजेपी का कहना है कि कोई एक नेता किसी एक यात्रा का प्रतिनिधित्व नहीं करेगा, बल्कि सभी यात्राओं में सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी शामिल होंगे। अब चार अलग-अलग परिवर्तन यात्रा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अलग-अलग जगहों से हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। पार्टी ने अब स्थानीय नेताओं को यात्रा का कॉर्डिनेटर बनाया है।

 

कमान केंद्रीय नेताओं के हाथ में क्यों?
विधानसभा चुनाव की पूरी कमान केंद्रीय नेताओं के हाथ में है। यह इसलिए किया गया है ताकि राज्य के किसी एक नेता को आगे करने से यह संदेश न जाए कि पार्टी उन्हें सीएम उम्मीदवार के रूप में देख रही है। इससे पार्टी का फायदा कम और नुकसान की ज्यादा आशंका है। राजस्थान बीजेपी में इसी गुटबाजी के चलते बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को हटाकर सीपी जोशी का अध्यक्ष पद दिया था। वसुंधरा राजे और पूनिया के बीच खींचतान की खबरें सुर्खियों में रहती थीं और दोनों के समर्थक एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी करते रहे हैं।

क्या है राजस्थान को लेकर बीजेपी का प्लान
2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव से पहले जब बीजेपी ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी उस वक्त इसकी अगुवाई वसुंधरा राजे ने की थी। लेकिन इस बार बीजेपी ने पहले चार अलग-अलग नेताओं के नेतृत्व में इसे निकालने की सोची लेकिन फिर इस प्लान को भी बदल दिया। क्योंकि अलग-अलग नेताओं के समर्थक यात्रा रूट में आने वाली सीटों के समीकरण और कहां कितनी सीट जीतेंगे, यह अंदाजा लगाकर कयासबाजी करने लगे थे कि पार्टी किसे कमान सौंप सकती है।