Home छत्तीसगढ़ आपातकालीन स्थिति में बिजली ग्रिड को बचाने होगा आटोमेटिक डिमांड मैनेजमेंट

आपातकालीन स्थिति में बिजली ग्रिड को बचाने होगा आटोमेटिक डिमांड मैनेजमेंट

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रायपुर

बिजली की आपूर्ति के लिए पूरे देश में एक ग्रिड प्रणाली संचालित है, इसे सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए छत्तीसगढ़ में स्वचलित मांग प्रबंधन प्रणाली (आटोमेटेड डिमांड मैनेजमेंट सिस्टम-एडीएमएस) लागू कर दी गई है। इससे आपातकालीन स्थिति में ग्रिड में अत्यधिक लोड होने पर स्वचलित तकनीक से भार प्रबंधन हो सकेगा, पहले इसे मेनुअली करना पड़ता था। इस प्रणाली को ट्रांसमिशन कंपनी की प्रबंध निदेशक श्रीमती उज्जवला बघेल के करकमलों से डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री मनोज खरे की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ ग्रिड को समर्पित किया गया। इससे जहां एक ओर ग्रिड को बचाने में सहायता मिलेगी, वहीं किसी एक क्षेत्र में भार प्रबंधन नहीं किया जाएगा, बल्कि इस लोड को अनेक छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाएगा।

प्रदेश में मांग-आपूर्ति के बीच समन्वय बनाये रखने हेतु इस प्रणाली की स्थापना नेशनल ग्रिड कोड के नियमानुसार इसे लागू कर दिया गया है। राज्य भार प्रेषण केंद्र डंगनिया में आयोजित कार्यक्रम में आज से इसे संचालन में लाया गया। ग्रिड में यदि कभी आवृत्ति (फ्रिक्वेंसी) 50 हर्टज से कम हो जाए एवं 100 मेगावाट से ज्यादा ओव्हर ड्रॉल की स्थिति हो, तब यह सिस्टम आटोमेटिक काम करने लगेगा। इसमें राज्य के चार विदयुत वितरण क्षेत्र दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर एवं रायगढ़ के 45 उपकेन्द्रों से निकलने वाले विभिन्न 33/11 केव्ही के 155 नग फीडरों के भार का मापन कर ग्रिड को सुरक्षित एवं संरक्षित किये जाने का प्रावधान है। यह प्रणाली छत्तीसगढ़ राज्य भार प्रेषण केन्द्र से स्वचालित रहेगी, जिसकी अद्यतन जानकारी क्षेत्रीय मुख्य अभियन्ताओं के प्रकोष्ठ में लगे हुए डैश बोर्ड पर प्रदर्शित होते रहेगी। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के विनियमन (रेग्युलेशन) के अनुसार इसे लागू किया गया है।

जिसमें पहले अधिक मांग बढने पर आपात स्थिति में ग्रिड को सुरक्षित करने के लिए भार प्रबंधन का मैनुअली होता था, इसमें समय अधिक लगता था और किसी एक क्षेत्र में भार प्रबंधन होता था, अब यह आटोमेटिक 10 अलग अलग समूह में होगा, जिससे एक बार भार प्रबंधन होने के बाद दूसरे ग्रुप में भार प्रबंधन होगा। नई व्यवस्था में 10 ग्रुप बनाए गए हैं, जिनमें सभी चारों क्षेत्र के फीडर शामिल हैं, यानी किसी एक क्षेत्र में पूरी तरह भार प्रबंधन नहीं किया जाएगा। जैसे ही मांग-आपूर्ति में संतुलन होगा, तुरंत स्थिति बहाल हो जाएगी।