लखनऊ
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा के निर्माण के बाद अब यूपी के विधानमंडल को नया रूप देने की कवायद शुरू हो गई है। नई बिल्डिंग का निर्माण होना है। ऐसे में विधानसभा और तमाम मंत्रियों के दफ्तर वहां से शिफ्ट करने होंगे। नए भवन का निर्माण होने तक सदन चलाने के लिए जिन विकल्पों पर विचार हो रहा है, उनमें इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान सहित तीन स्थान शामिल हैं। शासन स्तर पर इसे लेकर लगातार कवायद चल रही है। मगर अंतिम फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेना है।
यूपी का विधान भवन भव्य और आकर्षक है। सौ साल की हो चुकी यह इमारत वक्त के साथ छोटी पड़ने लगी है। ऐसे में उसे नया बनाने की मांग और कवायद तेज हो रही है। पहले विधानसभा को चक गंजरिया शिफ्ट करने की चर्चा भी थी, मगर उस पर कुछ खास नहीं हो सका। विधानमंडल का नया भवन बनाने के लिए करीब तीन साल का वक्त चाहिए। इस बीच सदन के संचालन के लिए कोई और जगह चाहिए। इसके लिए शासन स्तर पर चल रहे मंथन में तीन विकल्प उभरे हैं।
तिलक हॉल पर सहमत नहीं आर्कीटेक्ट
नये विकल्पों में एक मौजूदा विधान भवन में ही स्थित तिलक हॉल का है। दूसरा अवध शिल्पग्राम और तीसरा इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान का है। सूत्रों की मानें तो तिलक हॉल के विकल्प पर आर्कीटेक्ट की बहुत सहमति नहीं है। तर्क है कि सीमित जगह में सदन, अफसर और मंत्री कैसे समायोजित होंगे। वहीं इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान शिफ्ट होने की स्थिति में कुछ कक्षों की जरूरत और पड़ सकती है। यदि अवध शिल्पग्राम फाइनल हुआ तो वहां ऊपर गुंबद सहित कुछ और निर्माण कराने होंगे। इन कार्यों पर 150 से 200 करोड़ रुपये का खर्च आने की संभावना है। इस संबंध में मुख्य सचिव स्तर पर कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इस मंथन का हिस्सा नियोजन और पीडब्ल्यूडी सहित कुछ और विभागों के अधिकारी तथा आर्कीटेक्ट फर्म के प्रतिनिधि रहे हैं। अब देखना यह है कि इन तीनों में से मुख्यमंत्री किस विकल्प को हरी झंडी देते हैं।
1922 में रखी गई थी विधानसभा की नींव
राजधानी लखनऊ स्थित विधान भवन की भव्य इमारत का शिलान्यास 15 दिसंबर 1922 को तत्कालीन अंग्रेज गवर्नर सर स्पेंसर हारकोर्ट बटलर द्वारा किया गया था जबकि 21 फरवरी 1928 को इस आकर्षक इमारत का उद्घाटन हुआ था। मेसर्स मार्टिन एंड कंपनी द्वारा इस शानदार भवन का निर्माण किया गया था।