नईदिल्ली
2024 का लोकसभा चुनाव करीब है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर सभी सातों लोकसभा सीटें जीतने के लिए प्रभारी तय कर दिये हैं. यह प्रभारी आगामी चुनाव के लिए संगठन की बारीकियों के साथ ही राजनीतिक जिम्मेदारी निभाएंगे और जीत के लिए रणनीति बनाएंगे. यह भी खबर है कि खराब रिपोर्ट वाले सांसदों का टिकट कट सकता है.
दिल्ली में बीजेपी के मीडिया विभाग के प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने कहा, लोकसभा प्रभारी माइक्रो स्तर पर बूथ को मजबूत करते हैं ताकि चुनाव के काफी पहले किसी भी तरह की राजनीतिक और संगठनात्मक चुनौती से निपटा जा सके.
बीजेपी की घर-घर पहुंचने की तैयारी
पश्चिमी दिल्ली के लोकसभा प्रभारी बनाए गए जय प्रकाश (जेपी) ने बताया कि वो अपने क्षेत्र में संगठन को बूथ लेवल पर मजबूत करने पर जोर देंगे और ज्यादा लोग बूथ पर जाएं, इसे ध्यान में रखकर काम करेंगे. दिल्ली बीजेपी के मुताबिक, घर-घर मतदाताओं तक पहुंचने का उद्देश्य है. बूथ स्तर के 'पन्ना प्रमुखों' की नियुक्ति जैसे संगठनात्मक कार्यों पर जोर रहेगा. ये सभी काम चुनाव से पहले प्रभारी पूरा कर लेंगे.
बीजेपी के दिल्ली महासचिव योगेंद्र चंदौलिया को उत्तर पश्चिम दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है. दक्षिणी दिल्ली से राजीव बब्बर और चांदनी चौक सीट से राजेश भाटिया को जिम्मेदारी मिली है. प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश प्रताप सिंह को नई दिल्ली लोकसभा का प्रभारी, महामंत्री हर्ष मल्होत्रा को पूर्वी दिल्ली लोकसभा का प्रभारी, कमलजीत सहरावत को उत्तर पूर्वी लोकसभा सीट की जिम्मेदारी मिली है.
लोकसभा प्रभारी महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठकों में भाग लेते हैं और उन्हें सौंपे गए निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक और संगठनात्मक गतिविधियों पर जिला इकाई प्रमुखों और प्रभारियों के साथ समन्वय करते हैं. पार्टी नेतृत्व को कई मुद्दों पर औपचारिक और अनौपचारिक रूप से फीडबैक भी देते हैं, जिसमें मौजूदा सांसदों के प्रदर्शन और लोकप्रियता के साथ-साथ उन्हें सौंपी गई सीट से उपयुक्त संभावित उम्मीदवार भी शामिल हैं.
2019 में आप और कांग्रेस में नहीं हो पाया समझौता?
2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी ने सभी सात सीटें जीतीं थीं. दिल्ली में बीजेपी का मुकाबला आप और कांग्रेस से होगा. बताते चलें कि AAP और कांग्रेस 2024 के चुनावों के लिए गठित I.N.D.I.A ब्लॉक में भी साथ-साथ हैं. ये भी बता दें कि 2019 के चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर चर्चा हुई थी. बातचीत विफल होने पर आप और कांग्रेस ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, बीजेपी को सभी सात सीटों पर आप और कांग्रेस के उम्मीदवारों से ज्यादा वोट मिले.