लखनऊ
दूसरे राज्यों में अपनी पार्टी का विस्तार करने की चाहत में अखिलेश यादव को दक्षिण के राज्य भी उम्मीद जगा रहे हैं। उनकी कोशिश है कि आम चुनाव में इन राज्यों में सत्ताधारी मित्र दलों से उनका चुनावी गठजोड़ हो जाए और कुछ सीटें उन्हें लड़ने के लिए मिल जाएं। पहले तो उनकी नजर तेलगांना के विधानसभा चुनाव पर है और उसके बाद दक्षिण के राज्यों में लोकसभा चुनावों पर।
सपा की कोशिश इस मुहिम के जरिए अपने दल का इन राज्यों में जड़े जमाने की है। उन्हें सीटें कितनी मिलती हैं और सपा कितनी जीत पाती है यह अलग सवाल है, इससे महत्वपूर्ण बात है कि इस मुहिम के जरिए सपा अपना वोट प्रतिशत बढ़ाना चाहती है। इसलिए अखिलेश यादव ने इस साल तेलंगाना, तमिलनाडू, व केरल की यात्रा यू हीं नहीं की है।
तेलंगाना से सपा को खास उम्मीदें
पहले बात तेलंगाना की जहां इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। तेलंगाना में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए की तादाद 60 प्रतिशत से ज्यादा है। यहां भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख व तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर व कांग्रेस के बीच रिश्ते तल्ख हैं और इनके बीच सपा अपने लिए सियासी जगह तलाश रही है। सपा की तेलंगाना यूनिट चुनाव लड़ने को लेकर खासी उत्साहित है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से अखिलेश यादव की दिल्ली और हैदराबाद में कई मुलाकाते हुईं हैं। राव उन पर काफी भरोसा करते हैं। संभव है कि केसीआर की पार्टी उन्हें कुछ सीटें लड़ने के लिए दे।
स्टालिन से बढ़ रही नजदीकी
अखिलेश तमिलनाडू के सीएम एम के स्टालिन की पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने इस साल चेन्नई गए थे। वहां स्टालिन ने उनका जोरदार स्वागत किया। यहां सपा अपने संगठन को सक्रिय करने में जुटी है। सपा मुखिया पिछले दिनों केरल की यात्रा की थी। उनके केरल के सीएम पी विजयन से भी सहज रिश्ते हैं। सपा मान कर चल रही है कि उसका पीडीए का मुद्दा केवल उत्तर भारत नहीं नहीं दक्षिण के राज्यों में भी प्रभावी है। सपा का फोकस तेलंगाना, आंध्रप्रदेश व तमिलनाडू पर है।
जगन रेड्डी से है पुराना नाता
आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी से अखिलेश का पुराना नाता है। जगन रेड्डी ने आंध्रप्रदेश के विभाजन के विरोध में सपा का समर्थन मांगा था। इसके लिए उन्होंने 2013 में लखनऊ आकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिले थे।