नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन अपराधों के नाबालिग पीड़ितों की सहायता के लिए 'सपोर्ट पर्सन' की नियुक्ति से संबंधित दिशा-निर्देश तैयार करे।
नाबालिग पीड़ितों के लिए 'सपोर्ट पर्सन' नियुक्त करे यूपी सरकार
जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट और अरविंद कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश के महिला एवं बाल कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाने का निर्देश दिया, ताकि इस संबंध में स्थायी संचालन प्रक्रिया तैयार की जा सके। पीठ ने पाया कि पाक्सो नियम, 2020 में जिस 'सपोर्ट पर्सन' का प्रस्ताव किया गया है उसकी भूमिका अधूरी है या आंशिक रूप से प्रभावी है। इस प्रकार पीड़ितों और उनके परिवारों को सहायता प्रदान करने में इसकी सकारात्मक क्षमता सीमित हो जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह 'सपोर्ट पर्सन' की शैक्षणिक योग्यता के संबंध में दिशा-निर्देश तैयार करे। वह ऐसे संस्थानों या गैरसरकारी संगठनों को चिह्नित करने के लिए भी मानदंड बनाए, जो किसी योग्य व्यक्ति को 'सपोर्ट पर्सन' नियुक्त कर सके।
स्वतंत्र रूप से प्रशिक्षित पेशेवर होंगे 'सपोर्ट पर्सन'
पीठ ने कहा कि 'सपोर्ट पर्सन' स्वतंत्र रूप से प्रशिक्षित पेशेवर होंगे। उन्हें अक्सर प्रतिकूल वातावरण में गहन बातचीत करने की आवश्यकता होगी। इसे देखते हुए उन्हें पर्याप्त पारिश्रमिक का भुगतान किया जाना चाहिए।