रवीन्द्र भवन में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में गूँजी देशभक्ति कविताएँ
भोपाल
संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि छत्रपति वीर शिवाजी महाराज के पावन चरित्र को हम सभी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। शिवाजी महाराज के मूल्यों और सिद्धांतों पर चलकर ही हम भारत को 21वीं सदी का विश्व गुरु बनाने में अपनी भूमिका निभा पाएंगे। मंत्री सुश्री ठाकुर रवीन्द्र भवन में हिंदवी स्वराज स्थापना के 350 वर्ष के उपलक्ष्य में हिंदवी स्वराज्य स्थापना समारोह समिति और राष्ट्रीय कवि संगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि त्याग, पराक्रम और बलिदान की असंख्य गाथाओं से भरी भारत जैसी पावन भूमि पूरे विश्व में नहीं है। मंत्री सुश्री ठाकुर ने "जिस हिंदू ने नव में जाकर नक्षत्रों को दी है संज्ञा" कविता सुनाकर सभी को देशप्रेम की ऊर्जा से भरते हुए भारत को विकास और सांस्कृतिक उत्थान के चरमोत्कर्ष पर पहुँचाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया।
राष्ट्र विचारक हेमंत मुक्तिबोध ने कहा कि छत्रपति शिवाजी के स्वराज में स्व का बहुत महत्व है। इस स्व ने ही भारत के वीर क्रांतिकारियों को स्वाधीनता के संघर्ष की प्रेरणा दी थी। श्री मुक्तिबोध ने कहा कि भारत के विश्व का प्रतीक हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। ध्वज के शीर्ष में केसरिया रंग हमारी संस्कृति, ज्ञान और प्रेरणा का प्रतीक है। सफेद रंग शीलयुक्त जीवन और सद्भावना का प्रतीक है और हरा रंग क्रिया शक्ति, समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। उन्होंने छत्रपति शिवाजी के जीवन संघर्ष और विचारों पर प्रकाश डाला और सभी को छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।
राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में देशभर से पधारे कवियों ने देशभक्ति और राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत कविताओं से सभी में स्वराज की भावना जाग्रत की। गुरुग्राम से श्री अशोक बत्रा, दिल्ली से डॉक्टर कीर्ति काले, पुणे से श्री वैभव गुप्ता, मेरठ से डॉक्टर हरिओम पवार और ओरछा से श्री सुमित ओरछा ने सभी श्रोताओं को जोश से भर दिया।
कवि सम्मेलन में ब्रिगेडियर आर. विनायक, राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल, एलएनसीटी के चेयरमेन श्री जयनारायण चौकसे, आरएनटीयू के चेयरपर्सन अदिति चतुर्वेदी, मानसरोवर यूनिवर्सिटी के चेयरमैन श्री गौरव तिवारी, श्री अमिताभ सक्सेना सहित बड़ी संख्या में श्रोता और कविता-प्रेमी उपस्थित रहे।