भोपाल
खंडवा जिले की पंधाना विधानसभा से 2018 में कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं और पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव की करीबी नेत्री छाया मोरे ने कांग्रेस का साथ छोड़कर रविवार को बीजेपी का दामन थाम लिया है. छाया मोरे की गिनती कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव के करीबियों में से होती हैं. वहीं उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद बाद कांग्रेस भी उनको लेकर आक्रामक हो गई है.
कांग्रेस जिला अध्यक्ष अजय ओझा ने कहा,"किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. कांग्रेस एक समुंदर है. जो डर गए या दबाव में आ गए वे ही कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं. किसी के जाने से कांग्रेस पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता है. कांग्रेस के पास इससे अच्छे जमीनी स्तर के कार्यकर्ता मौजूद हैं. बीजेपी को आने वाले समय में अपनी हार दिख रही है, इसलिए वह कहीं हमारे नेताओं पर एफआईआर तो कहीं हमारे नेताओं को तोड़ने का प्रयास कर रही है."
'छाया मोरे की बात पार्टी में सुनी जाती थी'
वहीं, इधर छाया मोरे के बीजेपी की सदस्यता लेने पर खंडवा कांग्रेस के ग्रामीण जिला अध्यक्ष अजय ओझा ने आगे ये भी कहा कि छाया मोरे बहुत अच्छी नेत्री थीं. हमने प्रयास किया कि वो इस प्रकार का कोई निर्णय ना लें. दो दिन पहले मेरी उनसे बड़ी विस्तृत चर्चा हुई थी, मैंने उनको बताया भी की आपको पार्टी ने बहुत कुछ दिया है. आपको पार्टी ने एक बार टिकट दिया है, पीसीसी डेलीगेट बनाया, आपकी बात सुनी जाती है पार्टी में. आप ऐसा निर्णय ना लें.
'उन्हें बरगलाया गया'
जिला अध्यक्ष अजय ओझा ने बताया, "मुझे ऐसा लगता है कि वे दूसरों के ज्यादा प्रभाव में रहीं हैं. लोगों ने उनको ऐसा मेंटली तैयार कर दिया. वैसे वो सरल स्वभाव की भी हैं, लोगों की बातों में आ जाती हैं. तो ये उनको बरगला के या जैसे भी किया गया होगा. आज ये मालूम चला की कुछ 25-26 गाड़ियों में सौ – सवा सौ लोग उनके साथ जा रहे हैं उसमें भी आधे बीजेपी के लोग हैं."
'पंधाना में जीत रही कांग्रेस'
उन्होंने ये भी कहा, "ये कोई बहुत बड़ा इश्यू हमारे लिए नहीं है की उनके जाने से हमको कोई फर्क पड़ रहा है. हमारे पास जमीनी स्तर के बहुत सारे कार्यकर्ता पंधाना विधानसभा में मौजूद हैं, और निश्चित तौर से हम लोग पंधाना विधानसभा जीत रहे हैं."
कांग्रेस ने दिया था टिकट
बता दें कि छाया मोरे मध्य प्रदेश के खंडवा की कांग्रेस नेत्री और अरुण यादव की समर्थक रही हैं. छाया मोरे को 2018 में कांग्रेस ने पंधाना विधानसभा से पार्टी का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वे चुनाव हार गईं. छाया के सामने बीजेपी के उम्मीदवार के साथ ही कांग्रेस की बागी उम्मीदवार रुपाली वारे भी खड़ी हुईं थी. जिसे कांग्रेस ने उस समय निष्काषित भी कर दिया था. लेकिन एक बार फिर से बागी उम्मीदवार की सदस्य्ता को बहाल कर उसे संगठन में जगह दी थी. इसी नाराजगी के चलते छाया मोरे ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया.